Kavita gudari ke laal
Kavita gudari ke laal

हम है गुदड़ी के लाल

( Hum hai gudari ke laal )

 

 

कभी न कभी तो आएंंगे हमारे भी अच्छे दिन,

सफलताएं क़दम चूमेगी हमारा भी एक दिन।

हम है गुदड़ी के लाल और नाम गणपत लाल,

दिखा देंगे कुछ ऐसा करके हम भी एक दिन।।

 

सर्दी गर्मी बारिश और इस आग में तपें है हम,

सहन कर लेते हर-तरह की परेशानी को हम‌।

लिया है प्रण हमनें कुछ ऐसा कर दिखानें का,

अमन व शांति जैसा माहौल बना ही देंगे हम।।

 

टाॅप टेन में आकर के मचा ही देंगे हम धमाल,

चाहें रतन लाल हो या हो फिर मक्खन लाल।

जीवन में सफल होकर बनेंगे हम भी मिसाल,

देश-सेवा के साथ करेंगे साहित्य की चौपाल।।

 

धीरें ही सही आगे‌ बढ़कर हासिल करेंगे जीत,

यह हालात हमारे चाहें रहें हमारे ही विपरीत।

राष्ट्र-सुरक्षाओं में रहेगा हमारा सदैव योगदान,

वतन की मिट्टी से है हमारी बहुत गहरी-प्रीत।।

 

ख़तरों से खेलें बिना हमको जीना नही आता,

सदा हमारे साथ रहता हमारा भाग्य विधाता।

आज़ाद हिन्दुस्तां की कभी शाम ना होने देंगे,

हम गुदड़ी के लाल है और धरा हमारी माता।।

 

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

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