नव-सभ्यता | Kavita Nav Sabhyata
नव-सभ्यता
( Nav Sabhyata )
नव सभ्यता की
मजार में
फटी चादर का
रिवाज है
आदिम जीवन की
आवृत्ति में
शरमों -हया की
हत्या है
प्रेम-भाव के
विलोपन में
तांडव का
नर्तन है
मशीनी मानव की
खोज में
मां-बेटियां
नीलाम है
हाय-हेलो की
संस्कृति में
सनातन हमारी
श्मशान है
पछुयायी की
नशे में
मिजाज हमारा
मतवाला है
एकाकी सम्बंधों की
घटा में
बुजुर्ग हमारा
बंजारा है
शेखर कुमार श्रीवास्तव
दरभंगा( बिहार)