कोई तो ख़त का तू ज़वाब दें
कोई तो ख़त का तू ज़वाब दें
कोई तो ख़त का तू ज़वाब दें
न यूं बेरुख़ी तू ज़नाब दें
किसी की लगेगी बुरी नज़र
सनम चेहरे को तू हिजाब दें
न कर तू मुझे अजनबी मगर
सनम प्यार का तू गुलाब दें
वफ़ा में दिये है मुझे तूने
ग़मों का तू मेरे हिसाब दें
ग़मों की रवानी नहीं दें तू
ख़ुशी की वफ़ा की क़िताब दें
किसी की यादें को भूला दूँ मैं
ज़रा पीने को तू शराब दें
वफ़ा में आज़म पे सितम न कर
निगाहों में ऐसे न आब दें