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साळी दैव ओळमो | Marwadi sahitya

साळी दैव ओळमो

 

कदे जलेबी ल्यायो ना
हंस हंस क बतलायो ना
वार त्योहारां आयो ना
हेतु घणों बरसायो ना

 

मैळो कदे दिखायो ना
गाड़ी म घुमायो ना
घूमर घालैण आयो ना
गीत सुरीला गायों ना

 

साळी बोली हां र जीजा
आव ओळमो तन दयू
जीजी रा भरतार बता दें
क्यां पै जीजोजी कह दयूं

 

कलडो होयां कयां चालै
क्यूं तैवर दिखळावै है
झाला दैव बैठ साळियां
जीजा क्यूं शरमावै है

 

बढ़ ठण होरयो छेल छबीलो
जीजा के मंगवावे है
अंटी ढीली कर ले थोड़ी
सासरिये जद आवै है

 

साळी बोली हां र जीजा
आव ओळमो तन दयू
जीजी रा भरतार बता दें
क्यां प जीजोजी कह दयूं

 

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कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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