मीन और मीना की जिंदगी : एक जैसी

Kavita | मीन और मीना की जिंदगी : एक जैसी

मीन और मीना की जिंदगी : एक जैसी

( Meen Aur Meena Ki  Jindagi : Ek Jaisi )

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जल की रानी कह लोग-
जल से खींच लेते हैं,
हाय कितने निर्दयी ये होते हैं?
कभी गरमागरम तेल में करते फ्राई,
या फिर धूप में करते ड्राई!
खाते पसंद से , तनिक न सोचते,
एक रानी को यूं तड़पाकर नहीं मारते।
ठीक बेटियों की तरह,
उन्हें भी रानी लाडली मधु परी-
ना जाने और क्या क्या संज्ञा देते हैं?
फिर भी आए दिन अखबारों में
पढ़ हाल इनका हम तो रो देते हैं।
अरे जब यही हाल करना था तो
ये रानी लाडली परी मिष्टी कह
बुलाते क्यों हो?
चिकनी चुपड़ी बातों से मन
बहलाते क्यों हो?
जबकि भक्षक हो तुम
राक्षस होकर रक्षक का यह स्वांग क्यूं?

?

नवाब मंजूर

लेखक-मो.मंजूर आलम उर्फ नवाब मंजूर

सलेमपुर, छपरा, बिहार ।

यह भी पढ़ें : –

Kavita | थप्पड़

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