शान तिरंगे की

शान तिरंगे की | Tiranga par kavita

शान तिरंगे की ( Shaan tiranga ki )     सबसे ऊंची आज जगत् में शान तिरंगे की । वर्षों बाद लौटी है पहचान तिरंगे की।।   अब बीच खङी ये नफ़रत की दीवार गिरने दो। अमन पैग़ाम है इसका समझो जुबान तिरंगे की।।   तलवारें वहशत की लेकर ना काटो डोर उलफत की। सलामत…

सच कहे प्यार से जिंदगी लुट रही

सच कहे प्यार से जिंदगी लुट रही | Ghazal Pyar se Zindagi

सच कहे प्यार से जिंदगी लुट रही ( Sach kahe pyar se zindagi loot rahi )      सच कहे प्यार से जिंदगी लुट रही नफ़रतों में अपनी है ख़ुशी लुट रही   बेवफ़ा के ख़ंजर मेरे है प्यार में देखो मेरे दिल की आशिक़ी लुट रही   दुश्मनी के चले तीर है रात दिन…

15 अगस्त (कविता)

15 अगस्त (कविता) | Hindi poem 15 August

15 अगस्त (कविता) ( Poem 15 August )   आज 15 अगस्त है। उत्साह जबरदस्त है।।   आओ यशोगान करें ऊंची इसकी शान करें। देशप्रेम पर कुछ कहने का आज सही वक्त है।।   गौरवशाली देश हमारा शहीदों की आंखों का तारा। श्रवण रामचंद्रजी जैसे कहां पितृभक्त है!   दो  पलकों में दुनिया डोली स्वर्ग-नरक …

प्यार का दें दें उसे तू फूल

प्यार का दें दें उसे तू फूल | Ghazal Pyar ka Phool

प्यार का दें दें उसे तू फू ( Pyar ka de de use tu phool )      प्यार का दें दें उसे तू फूल मौक़ा देखकर उस हंसी के घर जाना तू आज़म पहरा देखकर   बात दिल की तू सभी अपनी सुना देना उसे होश मत खो देना अपनें उसका मुखड़ा देखकर  …

संसार

संसार | Sansar par Kavita

संसार ( Sansar )  ईश्वर तेरे संसार का बदल रहा है रूप-रंग, देख सब हैं चकित और दंग। क्षीण हो रहा है वनों का आकार, जीवों में भी दिख रहा बदला व्यवहार। कुछ लुप्त भी हो रहे हैं, ग्लेशियर पिघल रहे हैं। वायु हुआ है दूषित, विषैले गैसों की मात्रा बढ़ी है अनुचित। समझ नहीं…

छोड़कर साथ मेरा जाओ नहीं

छोड़कर साथ मेरा जाओ नहीं

छोड़कर साथ मेरा जाओ नहीं   छोड़कर साथ मेरा जाओ नहीं इस तरह से मुझे रुलाओ नहीं   अब हक़ीक़त में आओ सनम अब मेरे रोज़ यूं ख़्वाब में मेरे आओ नहीं   साथ मेरा निभालो सदा के लिए प्यार करके मुझे यूं सताओ नहीं   सच रहेगा हमेशा लबों पे मेरे झूठे इल्जाम यूं…

मां

मां

मां   मां एक अनबूझ पहेली है, मां सबकी सच्ची सहेली है, परिवार में रहती अकेली है, गृहस्थी का गुरुतर भार ले ली है। ऐ मां पहले बेटी,फिर धर्मपत्नी, बाद में मां कहलाती हो। पहली पाठशाला,पहली सेविका तूं घर की मालकिन कहलाती हो।। बुआ,बहन,मामी,मौसी कहलाये, माता,दादी,नानी नाम बुलवाये, परिवार की जन्म दात्री नाम सुहाये, अबला,सबला,…

स्वर्ग-नर्क

स्वर्ग-नर्क | Poem in Hindi on Swarg narak

स्वर्ग- नर्क ( Swarg – Narak )   स्वर्ग है या नर्क है कुछ और है ये। तूं बाहर मत देख तेरे ठौर है ये।। तेरे मन की हो गयी तो स्वर्ग है। मन से भी ऊपर गया अपवर्ग है। आत्मतत्व संघत्व का सिरमौर है ये।। तूं बाहर० मन की अभिलाषा बची तो नर्क है।…

प्रेम ( दोहा )

प्रेम | Prem Ke Dohe

प्रेम  ( Prem )   १) प्रेम की बंसी सुमधुर,मंत्रमुग्ध करी जाए। सुध-बुध का न पता चले,एकांत समय बिताए।।   २) जीवन में प्रेम महान, कुछ न इसके समान। मान सम्मान जहां मिले,वही है स्वर्ग स्थान।।   ३) नमन से नयन मिलाओ, आंखें कर लो चार। प्रेमरोग में जो पड़े,छुट जावे संसार ।।   ४)…

ग़र ना होती मातृभाषा

ग़र ना होती मातृभाषा | Matribhasha Diwas Par Kavita

ग़र ना होती मातृभाषा ( Gar na hoti matribhasha )      सोचो    सब-कुछ    कैसा  होता, ग़र     ना     होती   मातृभाषा ।।   सब     अज्ञानी    होकर    जीते जग-जीवन     का   बौझा  ढोते, किसी  विषय  को   पढ पाने की कैसे   पूरी    होती  अभिलाषा।।   कैसे    अपना     ग़म    बतलाते कैसे    गीत     खुशी    के   गाते, दिल  की  दिल  में ही …