पौधे देख सुन सकते हैं

पौधे देख सुन सकते हैं | Poem on plant in Hindi

पौधे देख सुन सकते हैं

( Paudhe dekh sun sakte hain )

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देख सुन और बात है करते!
पौधे !
क्या आप हैं जानते ?
क्या?
हां ,सही सुना आपने-
यह सत्य भी है भैया,
यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टर्न आस्ट्रेलिया की
मोनिका गागलियानों ने है साबित किया।
पहले तो थे यही जानते,
पौधे हंसते हैं और हैं गाते।
जगदीश चंद्र बसु ने बताया था,
शोध में सिद्ध कर दिखाया था।
अब पता चला कि ये-
देख,सुन,गिन और पहचान सकते हैं,
आपस में बात भी कर सकते हैं।
सुन हम खुश हुए-
पौधे और हम सब सजीव हैं,
कोशिकाओं के मेल से हैं बनें।
जब वे बोल सकते हैं तो-
एक दिन हम भी उनसे बात कर सकेंगे,
उनके हाल चाल ले सकेंगे;
उनकी इच्छा और पसंद पूरी करेंगे।
अभी तक ऐसा नहीं था,
जो बिल्कुल सही नहीं था।
आखिर हम सजीव आपस में बातें क्यों न करें?
अपना दुःख दर्द साझा क्यों न करें?
इस बात का था दर्द,
अब निभा पाऊंगा फर्ज!
ऐसा है विश्वास ,
जल्द ही वैज्ञानिक देंगे खुशखबरी-
है इसका आस ।
मोनिका जी ने बताया-
पौधे हमारी सोच से भी हैं स्मार्ट!
याद कर लेते हैं सबकुछ खटाक ।
शिकार करने व दुश्मन पहचानने में हैं निपुण,
ऐसे अनेक विद्यमान हैं उनमें गुण।
कीटभक्षक पौधों को दो बार जो छेड़ते हैं,
उन्हें वो कतई नहीं छोड़ते है ‌।
लताएं ध्वनि उत्सर्जित करती है,
लौटती गूंज से पता करतीं हैं;
दीवार चढ़ने लायक है या नहीं!
फिर निर्णय लेतीं हैं।
मिर्च के पौधे बेसिल पौधों के पास
जल्दी उग जाते हैं,
क्योंकि वे इन्हें कीटों से सुरक्षा दे पाते हैं।
देखा! कितने समझदार है ये पौधे?
सस्ते में नहीं करते कभी सौदे !
इनकी खासियत सुन गिरे कई मुंह औंधे!!

 

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नवाब मंजूर

लेखक– मो.मंजूर आलम उर्फ नवाब मंजूर

सलेमपुर, छपरा, बिहार ।

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