Poem Nazron ke Paimano | पी नज़रों के पैमानों में
पी नज़रों के पैमानों में
( Pee Nazron Ke Paimano Mein )
पी नज़रों के पैमानों में।
क्यूं सुख ढूंढे मयखानों में।।
जब दिल में ग़म गुलशन फीका।
रौनक लगती वीरानों में।।
बात चमन के फूलों में जो।
बात कहां वो गुलदानों में।।
जो शान तेरी महफिल में है।
जन्नत फीकी अफ़सानों में।।
ईमान यहां सस्ता इतना।
है बिकता दो -दो आनों में।।
है अकङ वो कायम अब तक भी।
बेशक पुतले बुतखानों में।।
ये टुकङे – टुकङे दिल होता।
जब ठेस लगे अरमानों में।।
कानून कहां माने नेता।
जनता पिसती फ़रमानों में।।
नग़में सुनकर दिल ये बोला।
कुछ बात है गीत पुरानों में।।
कवि व शायर: मुनीश कुमार “कुमार”
(हिंदी लैक्चरर )
GSS School ढाठरथ
जींद (हरियाणा)
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