Poem in Hindi on Krodh

क्रोध को त्यागें | Poem in Hindi on Krodh

क्रोध को त्यागें

( Krodh Ko Tyage )

आज दर्द हमारा यहाँ जानें कौन,
एवम हमको आज पहचानें कौन।
क्यों कि बैंक से ले रखा है यें लोन,
इसलिए रहता मैं अधिकतर मौन।।

रखता फिर भी दिल में एक जोश,
कोई गलती करें तो करता विरोध।
कमाकर चुकाऊंगा खोता ना होश,
कभी किसी पर नही करता क्रोध।।

क्रोध से टूटे कई रिश्तें नातें दोस्त,
क्रोध से फूटे भाग्य एवं खोते होश।
इस क्रोध को त्यागें व रखें सन्तोष,
ना रखना मन में द्वेश और ये रोष।।

मीठे प्यारे सब-से बोलों तुम बोल,
कर लो शब्दों का पहले तुम तोल।
धन, लोभ ,लालच और यह माया,
काम ना आता विपदा में ये साया।।

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

 

 

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