रिश्तों के धागे सब तोड़ते वो रहे | Shayari On Relations
रिश्तों के धागे सब तोड़ते वो रहे
( Rishton ke dhage sab torte wo rahe )
रिश्तों के धागे सब तोड़ते वो रहे
और हम प्यार से जोड़ते वो रहे
रह गये है हम आवाज देते यूं ही
और मुंह हमसे तो मोड़ते वो रहे
प्यार के भेजते ही रहे फ़ूल हम
नफ़रतों के ख़ंजर भेजते वो रहे
और हम प्यार आते रहे पेश है
तल्ख़ बातें बहुत बोलते वो रहे
और हम तो समझते रहे साथ है
साथ हमारा मगर छोड़ते वो रहे
हम क़रीब जितना आज़म गये है उनके
दूर हमसे उतना भागते वो रहे
शायर: आज़म नैय्यर
(सहारनपुर )
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