सावन आया उमड़ घुमड़

सावन आया उमड़ घुमड़ | Geet

सावन आया उमड़ घुमड़

( Sawan aya umad ghumad )

 

बरस रही है राष्ट्रधारा, सावन उमड़ा आता।
रिमझिम रिमझिम मेघा बरसे, उर आनंद समाता

 

काली बदरिया उमड़ घुमड़, घूम घूम घिर आये।
हरियाली से भरी धरा, सबको सावन भाये।

 

झूम झूम मस्ती में गाते, सब मिलकर नया तराना।
मंद मंद बहारें बहती, आया मौसम मस्ताना।

 

बाग बगीचे खुशबू महके तरूवर सब लहराए।
हरियाली की छटा निराली, सबके मन को भाए।

 

सावन की रूत हुई सुहानी, उमंग उल्लास जगाये।
मन मयूरा झूम के नाचे, उर आनंद समाये।

 

प्रेम दीवानी ले हिलोरे, प्रियतम आया सावन
इठलाती बलखाती नदियां, चाल चले मनभावन।

 

दिल में उठती नई उमंगे, आया मौसम सुहाना।
गीत गजल छंद महके, मुक्तक हुआ दीवाना।

 

चौपाई ने पांव पसारे, दोहे मंद मंद मुस्काए।
खेतों में हरियाली आई, खुशियां चेहरों पे आए।

 

उर उमड़े प्रेम सलोना, प्रीत की बहती धारा।
लो आया सावन सुरंगा, सबको लागे प्यारा

?

कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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