किसी की बेवफाई में | Shayari on Bewafai
किसी की बेवफ़ाई में
( Kisi ki bewafai mein )
ख़ुदाया ये बता क्या ख़ास है तेरी ख़ुदाई में
यहां हर शख़्स मुज़रिम है किसी की बेवफ़ाई में।
अग़र बातें करूं दिल की बदल देते सनम मौज़ू
हमें ये लग रहा वो ख़ुश बड़े हमसे जुदाई में
सबक हमको सिखाते दीन का ख़ुद को कहें ख़ालिक
उन्ही को बारहा मशगूल देखा है बुराई में।
कहां जायें अगर बीमार है दिल ये बता देना
ज़हर देते सुना है आज़ चारागर दवाई में
अजब है कैफ़ियत दिल की जिसे है मानता अपना
न जाने मिल रही लज़्जत उसी से क्यूं लड़ाई में।
मिलाकर काफ़िया अर्कान पैमाना बहर यारों
कहूंगी मैं गज़ल इक दिन ख़ुदा की रहनुमाई में।
नयन की जिंदगानी भी मज़े में कट रही यूं के
इलाही शुक़्रहै बरकत बहुत उसकी कमाई में।
सीमा पाण्डेय ‘नयन’
देवरिया ( उत्तर प्रदेश )
मौज़ू- विषय टापिक
बारहा- बहुत बार
लज़्जत- आनंद
रहनुमाई- मार्गदर्शन
बरकत- बढ़ोत्तरी