किंवदंती

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किंवदंती  ( Kimvadanti )   किंवदंती बन हम  प्रेम का, विचरण करे आकाश में। जो मिट सके ना युगों युगों, इस सृष्टि में अभिमान से।   मै सीप तुम मोती बनो, तुम चारू फिर मै चन्द्रमा। तुम प्रीत की  तपती धरा, मै मेघ घन मन रात सा।   तुम पुष्प मै मधुकर बनूँ , मै …

यह कैसा व्यवहार ?

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यह कैसा व्यवहार ? ( Ye Kaisa Vyavahar )   ***** मरणशील हो जिस मां ने हमें जीवन दिया है, वयस्क हो हमने ही उन्हें शर्मिंदा किया है। झेली असह्य पीड़ा हमारी खुशियों की खातिर, बर्ताव किया हमने उनसे होकर बड़े शातिर। जिसने अपनी खुशियों का कर दिया संहार, हमने उस मां की ममता को…

मैं और मेरे श्रोता

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मैं और मेरे श्रोता ( Main Aur Mere Shrota ) ** जी भर के मुझ को देखो थोड़ा सा मुस्कुराओ हम सामने तुम्हारे पलके झुका रहे है ** दिल में उतरने का  वादा जो कर रही हूँ तुमसे भी लूंगी वादा दिल में बसाये रखना ** एसी बातो से ना हमको निराश करना हम गीत…

चलते चलते हुए रुक जाऊं

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चलते चलते हुए रुक जाऊं  (Chalte Chalte Hue Ruk Jaoon )   चलते चलते मैं रुक जाऊं तो तुम मत घबराना मीत   याद हमारी आएगी तो आंसू नहीं बहाना मीत।   हम दोनों का प्यार पुराना पावन निर्मल निश्चल है   हृदय एक है प्राण एक है दोनों में ही मन का बल है…

कहानी मेरी

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कहानी मेरी ( Kahani Meri )     क्या  कहूँ  तेरे  बिना – क्या है ये जिंदगानी  मेरी; तुझसे शुरु तुझपे ख़त्म ये छोटी-सी कहानी मेरी ।   ना  भूख,  ना प्यास,  दिल घायल,  बेचैन रूह है; तुझे क्या बताऊँ क्या-क्या नहीं है परेशानी मेरी ।   जो  बेशक़ीमती लम्हें हमने तेरे साथ गुज़ारे थे;…

श्रृंगार

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श्रृंगार (Shringaar ) मधुर स्वर कोकिलार कूकन कामिनी जस रति बदन सी। जड़ित मुक्ता मणित अगणित स्वर्ण कंगन खनखनन सी।।      कमलदल बल विकल लखि अधरन की आभा,    दृगन खंजन चुभन चितवन मलयज सुलाभा, करत जात निनाद सरिता अनवरत कलकल वचन सी।। जड़ित ०।।      कर्ण कुण्डल में भूमण्डल नथनी में ब्रह्मांड…

संस्कारों का गुलाब

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संस्कारों का गुलाब ( Sanskaron Ka Gulab )    माता पिता के संस्कारों का गुलाब हूं, हर किसी गालों का गुलाब थोड़ी हूं।     हर   फूलों   का   जो   रस   चखे मैं   ऐसा   भंवरा   थोड़ी  हूं।     हर दिलों से शतरंज का खेल खेलू ऐसा  दिलों  का  दलाल थोड़ी हूं।     स्वार्थ में…

जीवन अमृत

Hindi Poetry On Life | Hindi Poem | Kavita -जीवन अमृत

जीवन अमृत (Jeevan Amrit ) ** बाद मुद्दत के एक ख्याल आया है जिंदगी से उठा एक सवाल आया है हमने कैसे कांटे बोये कैसे काटा यह जीवन कैसे हम ने बाग लगाए कैसे पाए थे कुछ फल ** भीगी चुनरिया जब फागुन में कैसे हमने रंग चढ़ाएं धानी रंग में रंगा स्वयं को इंद्रधनुष…

रिश्ता

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रिश्ता ( Rishta )   कैसा रिश्ता,कब का रिश्ता. सब तो है मतलब का रिश्ता. जात,खून,मजहब का रिश्ता, सबसे बढिया रब का रिश्ता. मिलता नहीं अब *ढब* का रिश्ता,(ढंग) गायब प्रेम,अदब का रिश्ता. दौलत और *मनसब*का रिश्ता,(पद/प्रतिष्ठा) है दोनों मेंं गज़ब का रिश्ता. चुंबन से ज्यों *लब*का रिश्ता,(ओठ) निभता दिन और*शब*का रिश्ता।(रात) दृढ़ है नेक*सबब*…

प्रेम अगन

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प्रेम अगन ( Prem Agan )   बचना  होगा   प्रेम  अगन से, इसमे  ज्वाला ज्यादा है। सुप्त सा ये दिखता तो है पर,तपन बहुत ही ज्यादा है।   जो भी उलझा इस माया में, वो ना कभी बच पाया है, या तो जल कर खाक हुआ या, दर्द फफोला पाया है।   कोई कुछ भी…