Hindi Poetry On Life | Hindi Kavita | Hindi Poem -किंवदंती
किंवदंती ( Kimvadanti ) किंवदंती बन हम प्रेम का, विचरण करे आकाश में। जो मिट सके ना युगों युगों, इस सृष्टि में अभिमान से। मै सीप तुम मोती बनो, तुम चारू फिर मै चन्द्रमा। तुम प्रीत की तपती धरा, मै मेघ घन मन रात सा। तुम पुष्प मै मधुकर बनूँ , मै …