Kavita | थप्पड़
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( Thappad )
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हिंदी के उत्संग में ( Hindi ke utsang mein ) हिंदी के उत्संग में, वैश्विक मैत्री सत्संग स्वर व्यंजन सरस बोधि, शब्द निर्माण कला अनुपम । अर्थ आभा हर्षल अमिय, प्रेरणा पुंज शिक्षण अधिगम । अथाह माधुर्य संवाद पथ, संबंध श्रृंगार अपनत्व कंग । हिंदी के उत्संग में, वैश्विक मैत्री सत्संग ।। वसुधैव कुटुंबकम्…
अफवा ( Aphava ) कभी तेरे लौट आने की खबर आई थी, दिल ने उसे सच मानकर ख़ुशी मनाई थी। पर हर बार वो एक अफवा ही निकली, तेरी यादों से फिर दिल ने उम्मीद की लो जलाई थी। इस अफवा में भी इक हसरत थी, शायद कभी ये हकीकत में बदल जाए। तेरी बातों…
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ( Prime Minister Narendra Modi ) मोदी एक व्यक्ति नहीं,वैश्विक विचारधारा है वर्तमान विश्व राजनैतिक पटल, हिंद प्रधानमंत्री अनूप स्थान । सोच वसुधैव कुटुंबकम् , मानव सेवा परम आह्वान । लक्ष्य स्वच्छ स्वस्थ शासन तंत्र, राष्ट्रीयता अभिवंदन दिव्य नारा है । मोदी एक व्यक्ति नहीं,वैश्विक विचारधारा है ।। निर्धन कृषक श्रमिक…
एकता का प्रतीक एकता का प्रतीक मकर संक्रान्तिजिन्हें जानकर दूर होगी भ्रांतिसभी जाति ,संप्रदाय, पंथ वालोंमिलकर रहो बनी रहेगी शांति । तिल है कालाचावल है उजलाशक्कर है गेरूआमूंग है हरासभी है एक रस में घुला । चावल , दाल मसाले मिलकरसबने एक खिचड़ी बनाईयह पर्व मानव को सौंपकरऋषि, मनि एक बात सिखाई । भले हमारा…
बस,अब और नहीं बस,अब और नहीं,,तुम छिप जाओ,जाकर कहीं…बादलों की ओट में,,,क्योंकि….मुझसे सहन नहीं होताये व्यवहार तुम्हाराऔर तुम हो कि…प्यार के नाम परमुखौटे पर मुखौटे लगाकरप्रतिपल छल रहे हो मुझेऔर…साबित कर रहे होकि… तुम बेवफा होआखिर क्यों कर रहे हो तुम ऐसा…जाओ,छिप जाओकहीं बादलों की ओट में… उल्लू के पठ्ठे जी हाँ,,सबके पठ्ठे होते हैंजैसे…
इंसानियत खो गई ( Insaniyat Kho Gayi ) बिछुड़न की रीति में स्वयं को पहचाना भीडतंत्र में बहुत प्रतिभावान हूँ जाना ।।1। नयन कोर बहते रहे शायद कभी सूखे राधा का चोला उतार पार्वती सरीखे ।।2। तुम गए ठीक से, पर सबकुछ ठीक क्यूँ नहीं गई इरादे वादे सारे तेरे गए पर याद क्यूँ नहीं…
हिंदी के उत्संग में ( Hindi ke utsang mein ) हिंदी के उत्संग में, वैश्विक मैत्री सत्संग स्वर व्यंजन सरस बोधि, शब्द निर्माण कला अनुपम । अर्थ आभा हर्षल अमिय, प्रेरणा पुंज शिक्षण अधिगम । अथाह माधुर्य संवाद पथ, संबंध श्रृंगार अपनत्व कंग । हिंदी के उत्संग में, वैश्विक मैत्री सत्संग ।। वसुधैव कुटुंबकम्…
अफवा ( Aphava ) कभी तेरे लौट आने की खबर आई थी, दिल ने उसे सच मानकर ख़ुशी मनाई थी। पर हर बार वो एक अफवा ही निकली, तेरी यादों से फिर दिल ने उम्मीद की लो जलाई थी। इस अफवा में भी इक हसरत थी, शायद कभी ये हकीकत में बदल जाए। तेरी बातों…
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ( Prime Minister Narendra Modi ) मोदी एक व्यक्ति नहीं,वैश्विक विचारधारा है वर्तमान विश्व राजनैतिक पटल, हिंद प्रधानमंत्री अनूप स्थान । सोच वसुधैव कुटुंबकम् , मानव सेवा परम आह्वान । लक्ष्य स्वच्छ स्वस्थ शासन तंत्र, राष्ट्रीयता अभिवंदन दिव्य नारा है । मोदी एक व्यक्ति नहीं,वैश्विक विचारधारा है ।। निर्धन कृषक श्रमिक…
एकता का प्रतीक एकता का प्रतीक मकर संक्रान्तिजिन्हें जानकर दूर होगी भ्रांतिसभी जाति ,संप्रदाय, पंथ वालोंमिलकर रहो बनी रहेगी शांति । तिल है कालाचावल है उजलाशक्कर है गेरूआमूंग है हरासभी है एक रस में घुला । चावल , दाल मसाले मिलकरसबने एक खिचड़ी बनाईयह पर्व मानव को सौंपकरऋषि, मनि एक बात सिखाई । भले हमारा…
बस,अब और नहीं बस,अब और नहीं,,तुम छिप जाओ,जाकर कहीं…बादलों की ओट में,,,क्योंकि….मुझसे सहन नहीं होताये व्यवहार तुम्हाराऔर तुम हो कि…प्यार के नाम परमुखौटे पर मुखौटे लगाकरप्रतिपल छल रहे हो मुझेऔर…साबित कर रहे होकि… तुम बेवफा होआखिर क्यों कर रहे हो तुम ऐसा…जाओ,छिप जाओकहीं बादलों की ओट में… उल्लू के पठ्ठे जी हाँ,,सबके पठ्ठे होते हैंजैसे…
इंसानियत खो गई ( Insaniyat Kho Gayi ) बिछुड़न की रीति में स्वयं को पहचाना भीडतंत्र में बहुत प्रतिभावान हूँ जाना ।।1। नयन कोर बहते रहे शायद कभी सूखे राधा का चोला उतार पार्वती सरीखे ।।2। तुम गए ठीक से, पर सबकुछ ठीक क्यूँ नहीं गई इरादे वादे सारे तेरे गए पर याद क्यूँ नहीं…
हिंदी के उत्संग में ( Hindi ke utsang mein ) हिंदी के उत्संग में, वैश्विक मैत्री सत्संग स्वर व्यंजन सरस बोधि, शब्द निर्माण कला अनुपम । अर्थ आभा हर्षल अमिय, प्रेरणा पुंज शिक्षण अधिगम । अथाह माधुर्य संवाद पथ, संबंध श्रृंगार अपनत्व कंग । हिंदी के उत्संग में, वैश्विक मैत्री सत्संग ।। वसुधैव कुटुंबकम्…
अफवा ( Aphava ) कभी तेरे लौट आने की खबर आई थी, दिल ने उसे सच मानकर ख़ुशी मनाई थी। पर हर बार वो एक अफवा ही निकली, तेरी यादों से फिर दिल ने उम्मीद की लो जलाई थी। इस अफवा में भी इक हसरत थी, शायद कभी ये हकीकत में बदल जाए। तेरी बातों…
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ( Prime Minister Narendra Modi ) मोदी एक व्यक्ति नहीं,वैश्विक विचारधारा है वर्तमान विश्व राजनैतिक पटल, हिंद प्रधानमंत्री अनूप स्थान । सोच वसुधैव कुटुंबकम् , मानव सेवा परम आह्वान । लक्ष्य स्वच्छ स्वस्थ शासन तंत्र, राष्ट्रीयता अभिवंदन दिव्य नारा है । मोदी एक व्यक्ति नहीं,वैश्विक विचारधारा है ।। निर्धन कृषक श्रमिक…
एकता का प्रतीक एकता का प्रतीक मकर संक्रान्तिजिन्हें जानकर दूर होगी भ्रांतिसभी जाति ,संप्रदाय, पंथ वालोंमिलकर रहो बनी रहेगी शांति । तिल है कालाचावल है उजलाशक्कर है गेरूआमूंग है हरासभी है एक रस में घुला । चावल , दाल मसाले मिलकरसबने एक खिचड़ी बनाईयह पर्व मानव को सौंपकरऋषि, मनि एक बात सिखाई । भले हमारा…
बस,अब और नहीं बस,अब और नहीं,,तुम छिप जाओ,जाकर कहीं…बादलों की ओट में,,,क्योंकि….मुझसे सहन नहीं होताये व्यवहार तुम्हाराऔर तुम हो कि…प्यार के नाम परमुखौटे पर मुखौटे लगाकरप्रतिपल छल रहे हो मुझेऔर…साबित कर रहे होकि… तुम बेवफा होआखिर क्यों कर रहे हो तुम ऐसा…जाओ,छिप जाओकहीं बादलों की ओट में… उल्लू के पठ्ठे जी हाँ,,सबके पठ्ठे होते हैंजैसे…
इंसानियत खो गई ( Insaniyat Kho Gayi ) बिछुड़न की रीति में स्वयं को पहचाना भीडतंत्र में बहुत प्रतिभावान हूँ जाना ।।1। नयन कोर बहते रहे शायद कभी सूखे राधा का चोला उतार पार्वती सरीखे ।।2। तुम गए ठीक से, पर सबकुछ ठीक क्यूँ नहीं गई इरादे वादे सारे तेरे गए पर याद क्यूँ नहीं…