थप्पड़

Kavita | थप्पड़

थप्पड़

( Thappad )

***

उसने मां को नहीं मारा
मार दिया जहान को
अपनी ही पहचान को
जीवन देने वाली निशान को।
जान उसी की ले ली,
लिए गोद जिसे रोटियां थी बेली।
निकला कपूत,
सारे जग ने देखा सुबूत।
हो रही है थू थू,
कितना कमीना निकला रे तू?
चुकाया न कर्ज दूध का
करें भला भगवान उस मरदूद का?
थप्पड़ से सिर्फ मां नहीं गिरी,
गिर गई मानवता,
गिरा मां पुत्र का रिश्ता;
मर गई ममता।
जिसे जन्म था दिया-
उसी ने मार दिया!
हाय तूने ये क्या किया?
अर्श से फर्श तक हिला दिया।
कलयुग है आया –
पहचान करा दिया।

?

नवाब मंजूर

लेखक-मो.मंजूर आलम उर्फ नवाब मंजूर

सलेमपुर, छपरा, बिहार ।

यह भी पढ़ें : –

अपनी गलती पर अंधभक्त | Andhbhakti par Kavita

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *