Kavita | थप्पड़
थप्पड़
( Thappad )
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( Thappad )
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मानवता बना एक खिलौना ( Manavta bana ek khilona ) खिलौनों से खेलते खेलते कब आदमी आदमी से खेलने लगा, गुड्डे गुड़ियों से खेलते खेलते ना जाने कब गुड्डा,गुड्डी का बलात्कार करने लगा, कितना आसानी से सबने गुड्डी को खिलौना बना दिया, पर हर गुड्डा बुरा नहीं ये किसी ने सोचा ही नहीं, कभी ये…
औरत! ( Aurat ) घर को घर देखो बनाती है औरत, रंग – बिरंगे फूल खिलाती है औरत। न जाने कितने खेले गोंद में देवता, उम्रभर औरों के लिए जीती है औरत। लाज- हया धोकर कुछ बैठे हैं देखो, कभी-कभी कीमत चुकाती है औरत। जिद पर आए तो जीत लेती है मैदान, झाँसी की…
ख्वाब टूटे कभी तो अरमान का पता चले ( Khawab Tute Kabhi To Armaan Ka Pata Chale ) ख्वाब टूटे कभी तो अरमान का पता चले मुझे आँख लगे जो तूफ़ान का पता चले ए-शराब में तुझे कुछ इस तरह से पीता हूँ मदहोश भी रहूँ तो मकान का पता चले …
बगावत नहीं होती! ( Bagawat nahi hoti ) भगवान की अदालत में वकालत नहीं होती, किसी के चिल्लाने से कयामत नहीं होती। जहाँ रहेंगे सच्चरित्र औ पक्के ईमानवाले, किसी के भड़काने से बगावत नहीं होती। इतना सीख चुका हूँ मैं इन आबो-हवा से, किसी से मुझे अब शिकायत नहीं होती। पैसे का नशा…
यार दिल की ही मगर ऐसी दवा मां ( Yaar dil ki hi magar aisi dawa maa ) यार दिल की ही मगर ऐसी दवा मां ! जिंदगी भर करती है देखो वफ़ा मां हर वादा दिल से निभाती है हमेशा जीस्त की वो एक सच्ची आशना मां जिंदगी तेरे बिना कुछ…
परवाज उड़ान कल्पनाओं की ( Parwaz udaan kalpanao ki ) भर परवाज नई उड़ाने नई नई कल्पना आई। भाव भरा सागर उमड़ा नई-नई रचनाएं आई। शब्द सुरीले मन मोहे मंच मुदित वाणी हरसाई। गीत गजल छंद मुक्तक ने पावन सरिता बहाई। कलमकार सुधीजन सारे पाते हैं मान-सम्मान। यशस्वी लेखनी हुई उदित कलमकार…