आपबीती | Zindagi Ghazal
आपबीती
( Aapbeeti )
सौ पलों की एक पल में आपबीती
हम सुनाते हैं ग़ज़ल में आपबीती
सब अना की क़ैद में जकड़े हुए हैं
कौन सुनता है महल में आपबीती ?
जीते जी ही कह सकोगे हाल अपना
कौन कह पाया अजल में आपबीती ?
अपने अपने दर्द में ही लोग ग़ुम हैं
चुप है इस जंग ओ जदल में आपबीती
क्या पता फिर वक़्त फ़ुरसत दे न तुझको
कर बयाँ तू आजकल में आपबीती
और बहरें तो ‘अहद’ मुश्किल बहुत हैं
कर बयाँ बहरे रमल में आपबीती !
शायर: :– अमित ‘अहद’
गाँव+पोस्ट-मुजफ़्फ़राबाद
जिला-सहारनपुर ( उत्तर प्रदेश )
पिन कोड़-247129
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