hindi poetry on life -मृत्यु!
मृत्यु!
( Mrityu )
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( Mrityu )
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अजेय इंडिया हमारा आन-बान-शान की निशानी है इंडिया जीत टी-20 का प्रमाण है इंडिया परचम अजेय का गगनचुम्बी है इंडिया पंख जज्बा-जोश की बुलंदी है इंडिया विजयी विराट की लहर है इंडिया वैश्विक चुनौतियों का सामना है इंडिया शेखर कुमार श्रीवास्तव दरभंगा( बिहार) यह भी पढ़ें :- बचपन लौटा दो | Kavita Bachpan lauta do
सोच की नग्नता ( Soch ki Nagnata ) भरी गागर में और जल भरता नहीं बदल गई हो दिशा जिसकी वो तना सीधे खड़ा रहता नहीं लाख चाहकर भी आप सोच किसी की बदल सकते नहीं मिले हो जो संस्कार गर्भ से ही युवापन के बाद उसे सुधार सकते नहीं परिवार, पड़ोस ही देता…
चैती ( Chaiti Lokgeet ) काहे गए परदेश सजनवा, काहे गए परदेश। प्रीत मोरी बिसरा के सजनवा,छोड़ गए निज देश। फागुन बीता तुम बिन सजनवा,चैत चढा झकझोर। भरी दोहपरी अल्लड उडे है, गेहूंआ काटे मलहोर। पुरवा पछुआ कभी उडे तो, कभी उडे चकचोर। सांझ ढलत ही चैती गाए तब, नैन बरसाए नीर।…
अपने अपने राम ( Apne Apne Ram ) अपने अपने राम भजे सब मन में मोतीराम हुए। मार कुंडली रावण बैठा खुद ही राजा राम हुए। मर्यादा का हनन हो रहा संस्कार सारे लुप्त हुए। कुंभकरण सी नींद सोए आचरण विलुप्त हुए। लाज शर्म आंखे खोई शिष्टाचार सब भूल गए। स्वार्थ में अंधे होकर…
सांप तुम सभ्य कब हुए सांप तुम सभ्य कब हुए तुम विश्वास दिलाते हो मेरी विष थैली में अब भरा हुआ है अमृत दंश करना छोड़ दिया है मैंने लोग गाते हैं जीवन-गीत सांप तुम पर भला कभी भरोसा किया जा सकता है बेफिक्र जीया जा सकता है नहीं बिल्कुल नहीं हंसुआ टेंढ़ का…