ये वादे तो रोज करते हैं, मगर फिर भूल जाते हैं ।
ये वादे तो रोज करते हैं, मगर फिर भूल जाते हैं ।

आजकल के नेता

( Aajkal ke neta )

 

ये वादे तो रोज करते हैं,

मगर फिर भूल जाते हैं ।

 

 ये ऐसे दोस्त हैं जो पीठ

पर खंजर चुभाते हैं !

 

करेंगे  सब  की  सेवा

देश को आगे बढ़ाएंगे,

 

इलेक्शन जीतने के बाद

ये  सब  भूल  जाते  हैं

 

हमीं वादों में फंसते हैं

गरीबी से अमीर होने का

 

हमें सपना दिखाते हैं !

हमें उम्मीदें रहती है कि

 

अपना दिन भी बदलेगा

समय तो बीतता है पर

 

 हम खुद को वैसे ही पाते हैं !!

 

 

लेखिका – नाजमा हाशमी

( रिसर्च स्कॉलर जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय,नई दिल्ली )

 

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1 COMMENT

  1. अति सरल और सुन्दर कविता । आप ने क्या खूब आज के नेताओं पे सटीक लिखा है। कीप इट उप। स्टे सेफ।

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