Hindi Kavita On Life -प्रतिघात
प्रतिघात
( Pratighaat )
लिख दिया मस्तक पटल पर, वाद का प्रतिवाद होगा।
बन्द दरवाजे के पीछे, अब ना कुछ संवाद होगा।
जो भी कहना है मुझे कह लो, मगर ये याद रखना,
शेर के शब्दों में भी है, घात का प्रतिघात होगा।
रूग्ण जीवन अब नही है, मास मे मधुमास होगा।
सुन लो सत्ता के भिखारी,सुख का अब एहसास होगा।
कौन कहता है दुखो का, अंत होता ही नही है,
शेर की कविता पढो, दुख कल था जो ना आज होगा।
बात बढनी है अगर तो, बात बढकर ही रहेगी।
तुम जो बोलोगे अगर तो, बात सुननी ही पडेगी।
बीती बातों याद करके , याद करना शेर को गर,
मन की कुण्ठा खत्म होगी, बात सुन्दर तब रहेगी।
भाव अपने लिख रहा हूँ, शब्द कुछ तेरा रहेगे।
पढ के तुम समझेगे मन के, भाव अच्छे तब रहेगे।
शेर को लिखने का मन है, शब्द कुछ भी लिख रहा हूँ।
तुम लिखो कुछ शब्द सुन्दर, बात बेहतर तब बनेगे।
कवि : शेर सिंह हुंकार
देवरिया ( उत्तर प्रदेश )