ऐसा कौन करता है | Kavita
ऐसा कौन करता है?
( Aisa kon karta hai )
( Aisa kon karta hai )
कई उलझने हैं सुलझाने को ( Kai uljhane hai suljhane ko ) नये रास्ते हैं आगे बढ़ जानेको सुंदर नजारे दिल मे समानेको नजर उठती है ठहर जाने को बेखौफ नदी जैसे बहजाने को रंजो गम को दबा जाने को महफूज जगह रुक जाने को बेपनाह मोहब्बत पा जाने को नैनों में ख्वाब सजा…
बिन ठोकर के अक्ल न आती ( Bin thokar ke akal nahi aati ) गुरु का डंडा और राह की ठोकर, दोनों दरवाजे कामयाबी खोलती। जिस जिसको भी लगा यह दोनों, उसे मंजिल तक पहुँचाकर रहती।। बदल ही जाती तकदीर सभी की, कलम फिर सरपट चलने लगती। तलाश ना करो तुम मुस्कराने की, बिन…
ऋतुएँ हैं अनेक पर बसंत ऋतु सर्वश्रेष्ठ ( Rituyen hain anek par basant ritu sarvashreshth ) यह बसंत ऋतु लायी फिर से प्यारी सी सुगन्ध, ये प्रकृति निभाती सबके साथ समान सम्बन्ध। यह जीने की वस्तुएं सभी को उपलब्ध कराती, शुद्ध हवा एवं अमृत जल हम सबको पिलाती।। इस प्रकृति की लीलाएं वसुंधरा पर…
खरीद खरीद कर थक गया हूं ( Khareed khareed kar thak gaya hoon ) सेनेटाइजर खरीदा खरीदा आक्सीमीटर मास्क साथ में हैण्डवाश लाया आयुष काढ़ा तब जबकि आमदनी हुई आधा पीया गिलोय तुलसी का रस नारियल पानी भी ठसम ठस कभी पैरासिटामोल तो कभी खरीदा मल्टी विटामिन कभी डेक्सामेथासोन एजीथ्रोमाइसीन । टीवी अखबार में…
मानव तन पाकर भजा न प्रभु को मानव तन पा करके, भजा न प्रभु को जो। यह अनमोल जीवन अपना, वृथा ही दिया उसने खो। मानव तन पा करके, भजा न प्रभु को जो। गया ठगा द्वारा ठगिनी माया के। झूठा रंग चढ़ाया अपनी काया पे। छोड़ फूल बीज कांटे का, लिया बो जो। यह…
महाशक्ति ये देश बने ( Mahashakti ye desh bane ) हक की बातें कम करते हो,देखा पिछली सालों में, कितने नाम उछलकर आए स्विस बैंक,हवालों में। जिसने देश आजाद कराया क्यों जेहन से भूल गए? उनके नाम कहाँ छपते हैं आजकल अखबारों में। घर कितने जला डाले देखो आस्तीन के साँपों ने, खून से…
कई उलझने हैं सुलझाने को ( Kai uljhane hai suljhane ko ) नये रास्ते हैं आगे बढ़ जानेको सुंदर नजारे दिल मे समानेको नजर उठती है ठहर जाने को बेखौफ नदी जैसे बहजाने को रंजो गम को दबा जाने को महफूज जगह रुक जाने को बेपनाह मोहब्बत पा जाने को नैनों में ख्वाब सजा…
बिन ठोकर के अक्ल न आती ( Bin thokar ke akal nahi aati ) गुरु का डंडा और राह की ठोकर, दोनों दरवाजे कामयाबी खोलती। जिस जिसको भी लगा यह दोनों, उसे मंजिल तक पहुँचाकर रहती।। बदल ही जाती तकदीर सभी की, कलम फिर सरपट चलने लगती। तलाश ना करो तुम मुस्कराने की, बिन…
ऋतुएँ हैं अनेक पर बसंत ऋतु सर्वश्रेष्ठ ( Rituyen hain anek par basant ritu sarvashreshth ) यह बसंत ऋतु लायी फिर से प्यारी सी सुगन्ध, ये प्रकृति निभाती सबके साथ समान सम्बन्ध। यह जीने की वस्तुएं सभी को उपलब्ध कराती, शुद्ध हवा एवं अमृत जल हम सबको पिलाती।। इस प्रकृति की लीलाएं वसुंधरा पर…
खरीद खरीद कर थक गया हूं ( Khareed khareed kar thak gaya hoon ) सेनेटाइजर खरीदा खरीदा आक्सीमीटर मास्क साथ में हैण्डवाश लाया आयुष काढ़ा तब जबकि आमदनी हुई आधा पीया गिलोय तुलसी का रस नारियल पानी भी ठसम ठस कभी पैरासिटामोल तो कभी खरीदा मल्टी विटामिन कभी डेक्सामेथासोन एजीथ्रोमाइसीन । टीवी अखबार में…
मानव तन पाकर भजा न प्रभु को मानव तन पा करके, भजा न प्रभु को जो। यह अनमोल जीवन अपना, वृथा ही दिया उसने खो। मानव तन पा करके, भजा न प्रभु को जो। गया ठगा द्वारा ठगिनी माया के। झूठा रंग चढ़ाया अपनी काया पे। छोड़ फूल बीज कांटे का, लिया बो जो। यह…
महाशक्ति ये देश बने ( Mahashakti ye desh bane ) हक की बातें कम करते हो,देखा पिछली सालों में, कितने नाम उछलकर आए स्विस बैंक,हवालों में। जिसने देश आजाद कराया क्यों जेहन से भूल गए? उनके नाम कहाँ छपते हैं आजकल अखबारों में। घर कितने जला डाले देखो आस्तीन के साँपों ने, खून से…
कई उलझने हैं सुलझाने को ( Kai uljhane hai suljhane ko ) नये रास्ते हैं आगे बढ़ जानेको सुंदर नजारे दिल मे समानेको नजर उठती है ठहर जाने को बेखौफ नदी जैसे बहजाने को रंजो गम को दबा जाने को महफूज जगह रुक जाने को बेपनाह मोहब्बत पा जाने को नैनों में ख्वाब सजा…
बिन ठोकर के अक्ल न आती ( Bin thokar ke akal nahi aati ) गुरु का डंडा और राह की ठोकर, दोनों दरवाजे कामयाबी खोलती। जिस जिसको भी लगा यह दोनों, उसे मंजिल तक पहुँचाकर रहती।। बदल ही जाती तकदीर सभी की, कलम फिर सरपट चलने लगती। तलाश ना करो तुम मुस्कराने की, बिन…
ऋतुएँ हैं अनेक पर बसंत ऋतु सर्वश्रेष्ठ ( Rituyen hain anek par basant ritu sarvashreshth ) यह बसंत ऋतु लायी फिर से प्यारी सी सुगन्ध, ये प्रकृति निभाती सबके साथ समान सम्बन्ध। यह जीने की वस्तुएं सभी को उपलब्ध कराती, शुद्ध हवा एवं अमृत जल हम सबको पिलाती।। इस प्रकृति की लीलाएं वसुंधरा पर…
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मानव तन पाकर भजा न प्रभु को मानव तन पा करके, भजा न प्रभु को जो। यह अनमोल जीवन अपना, वृथा ही दिया उसने खो। मानव तन पा करके, भजा न प्रभु को जो। गया ठगा द्वारा ठगिनी माया के। झूठा रंग चढ़ाया अपनी काया पे। छोड़ फूल बीज कांटे का, लिया बो जो। यह…
महाशक्ति ये देश बने ( Mahashakti ye desh bane ) हक की बातें कम करते हो,देखा पिछली सालों में, कितने नाम उछलकर आए स्विस बैंक,हवालों में। जिसने देश आजाद कराया क्यों जेहन से भूल गए? उनके नाम कहाँ छपते हैं आजकल अखबारों में। घर कितने जला डाले देखो आस्तीन के साँपों ने, खून से…