hindi poem on child | बच्चों की हिन्दी लिखावट
बच्चों की हिन्दी लिखावट
( Bacchon ki hindi likhawat )
( Bacchon ki hindi likhawat )
सभ्य समाज की गाली हूँ ( Sabhya samaj ki gaali hoon ) सांस रूकी तो मुर्दाबाद , सांस चली तो जिन्दाबाद ! चढ़ता नित नित सूली हूँ , मैं किस खेत की मूली हूँ ! ! बंजारों की बस्ती में रहता हूँ , अपनी मस्ती में बहता हूँ ! जीवन की एक पहेली…
कैसा यह समय है ? ( Kaisa Yah Samay Hai ) शिक्षा को मारा जा रहा है अशिक्षा को बढ़ावा देकर असल को महरूम किया जा रहा चढ़ावा लेकर हिसाब बराबर किया जा रहा कुछ ले दे कर विश्वास पर हावी है अंधविश्वास गरीबों को मयस्सर नहीं अब घास देखता आसमान दिन-रात बरसे तो बने…
1 प्रवाह ——- सोचता हूं कि दुनिया की सारी बारूद मिट्टी बन जाये और मैं मिट्टी के गमलों में बीज रोप दूं विष उगलती मशीनगनों को प्रेम की विरासत सौप दूं . पर जमीन का कोई टुकड़ा अब सुरक्षित नहीं लगता . कि मैं सूनी सरहद पे निहत्था खड़ा अपने चश्मे से, धूल -जमी मिट्टी…
‘कथा सम्राट’ ( Katha samrat ) सरल व्यक्तित्व के धनी नाम था धनपत राय, लमही गांव में जन्मे प्रसिद्ध कथाओं के सम्राट, संघर्षो से भरे जीवन को लेखनी में ऐसा ढाला। कालजयी हो गई फिर उपन्यासों की हरेक धारा, रचनाओं में जन- जीवन को गहराई से था उतारा। समाज की अव्यवस्थाओं पर किया कड़ा…
विश्व कविता दिवस पर ( Vishv Kavita Diwas Par ) कविता प्रकृति पदार्थ और पुरुषार्थ दिखाती कविता, जीव को ब्रह्म से आकर के मिलाती कविता।। शस्त्र सारे जब निष्फल हो जाया करते, युद्ध में आकर तलवार चलाती कविता।। पतझड़ों से दबा जीवन जब क्रंदन करता, हमारे घर में बन बसंत खिल जाती कविता।।…
बिछा लो प्रेम की चादर ( Bichha lo prem ki chadar ) बिछा सकते हो तो बिछा लो प्यार की चादर। गोद में पलकर हुए बड़े कर लो उनका आदर। बिछा लो प्रेम की चादर आंधी तूफानों में भी हम आंचल की छांव में सोए। साहस संबल मांँ ने दिया पुचकारा जब…