भा गए हो हमको कसम से
भा गए हो हमको कसम से

भा गए हो हमको कसम से

( Bha gaye ho humko kasam se ) 

 

तुम भा गए हो हमको कसम से।
तुम्हे चुरा ले कोई ना हम से।।

 

बनके तसव्वुर से हौले-हौले।
दिल में बसे हो आकर के छम से।।

 

कितना पुराना है अपना नाता।
मिलते रहे हो जन्मो जन्म से।।

 

है जगमगाता तेरा ये मुखङा।
हो चांद खिलते से हुए पूनम से।।

 

गेसू खुले तो लगते ये बादल।
बिजली नज़र में छाई भरम से।।

 

नाजुक लगे कलि से लब ये दोनों।
रुखसार भी मानो लाल शर्म से।।

 

तेरी बलाएं सर अपने ले लूं।
रहना सलामत हरएक सितम से।।

 

नज़रे इनायत हम पे ये रखना।
जिंदा हू तेरे रहमो करम से।।

 

लगते वीराने मंजर ये तुम बिन।
“कुमार” रौनक तेरे ही दम से।।

लेखक: * मुनीश कुमार “कुमार “
जींद (हरियाणा)

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