सावन में मिलन | Kavita Sawn Mein Milan

सावन में मिलन | Kavita Sawn Mein Milan

सावन में मिलन ( Sawn Mein Milan ) आ गई हुई सावन में कुछ दिनों के लिए मायके। जिया लग नही रहा मेरा अब उनके बिना यहाँ। मिलने की राह में हम बहुत व्याकुल हो रहे। करें तो क्या करें अब की मिलन हमारा हो जाये।। पिया की राह में आँखें उन्हें निहार रही है।…

गला कटे तत्काल | Gala Kate Tatkal

गला कटे तत्काल | Gala Kate Tatkal

गला कटे तत्काल ( Gala Kate Tatkal ) कत्ल करे दुश्मन बने, बदल गई वो चाल। करके देखो नेकियाँ, गला कटे तत्काल।। जो ढूंढे हैं फायदा, उनका क्या परिवार। संबंधों की साधना, लुटती है हर बार।। नकली है रिश्ते सभी, नहीं किसी में धीर। झूठी है सद्भावना, समझेंगे क्या पीर।। सब कुछ पाकर भी रहा,…

नाकाम | Kavita Nakaam

नाकाम | Kavita Nakaam

नाकाम ( Nakaam ) दुनिया की उम्मीदों पर खरा ना उतर सका मैं। ज़िंदा रहते खुद को मरा ना समझ सका मैं। अपने कद का अंदाज़ा सदा रहा मुझे। अफसोस है कि खुद से बड़ा ना बन सका मैं। एक उनके लिए, और दूसरा अपने लिए ऐसे दोहरे चरित्र का प्रहसन ना पहन सका मैं।…

सावन मनभावन | Sawan Manbhavan

सावन मनभावन | Sawan Manbhavan

सावन मनभावन ( Savan Manbhavan ) झूम झूम के सावन आया, घूम-घूम के खुशियां लाया। झन~झन करे झंकार , आवारा बदरा बरसाया। घन-घन गरजती बौछारें धूम धड़का कर धमकाए l गर्जन-तर्जन करे दामिनी, पुलक-पुलक पुलकाए l चढ़ गई मौज बदरा को, तो नदिया भर-भर लाये। नाले-डबरे सारे भर गए, गली में पानी बहता जाए l…

कविता तू

कविता तू | Kavita tu

कविता तू ( Kavita tu ) कविता, तू शब्दों की माला, भावनाओं का रंग, तेरे बिना दिल की गहराई, रहती है सुनी और थकी। तू लफ्जों में छुपी, सजीवता की छाया, हर स्वर में बसी, प्रेम और स्नेह की माया। तेरे हर पंक्ति में बसी, दिल की अनकही बात, हर छंद में छुपा है, जीवन…

बस थोड़ा सा प्यार चाहिए

बस थोड़ा सा प्यार चाहिए | Bas Thoda sa Pyar Chahiye

बस थोड़ा सा प्यार चाहिए ( Bas Thoda sa Pyar Chahiye ) बस थोड़ा सा प्यार चाहिए। जीने का ही आधार चाहिए। बहती रहे अनुरागी सरिता। प्रीत फुहार रसधार चाहिए। मधुरम बहती बहार चाहिए। खुशियों की भरमार चाहिए। दिल तक दस्तक दे जाए वो। हमको ऐसा दिलदार चाहिए। भाव जड़ित हमें हार चाहिए। सुरभित भीनी…

Chauhan Shubhangi Poetry

चौहान शुभांगी मगनसिंह जी की कविताएँ | Chauhan Shubhangi Poetry

हूँ मैं अंधेरी रात हूँ मैं अंधेरी रात… मुझसे ही रोशन है जुगनुओं की बारात चाँद है चमकता बिखरती है चाँदनी मुझसे ही जब हो पूनम की बात हूँ मैं अंधेरी रात … अमावस मेरी ही गोद में है खेलती और ज्यादा घना अंधेरा करता है मुझसे दो दो हाथ गिद्ध की आवाज़ कुत्ते भी…

स्नेह से प्रेम | Kavita Sneh se Prem

स्नेह से प्रेम | Kavita Sneh se Prem

स्नेह से प्रेम ( Sneh se Prem ) स्नेह से प्रेम जताया जाना उपहार में गुलाब दिया जाना सूर्य का उदय होना यां शिशु का जन्म लेना सब संकेत प्यार को परिभाषित करते हैं गहरा लाल रंग फूलों पर कोमल दिखता है वही लाल रंग आंखों में आकर उग्र होता है मन के भाव और…

गुरु ज्ञान की ज्योत

गुरु ज्ञान की ज्योत | Guru Gyan ki Jyoti

गुरु ज्ञान की ज्योत ( Guru Gyan ki Jyoti ) हे गुरुवर तू मेरे देश में ज्ञान की ज्योत जगा दे ! बल बुद्धि विद्या वैभव से अंधकार को दूर भगा दे । मोह माया की सुरा को पीकर सोया है जो राष्ट्र छेड़ ज्ञान की तान यहां तू भ्रष्टाचार मिटा दे ।। हे गुरुवर…

उबारो गणपति | Ubaro Ganpati

उबारो गणपति | Ubaro Ganpati

उबारो गणपति ( Ubaro Ganpati ) हे गणपति बप्पा!गणनायक। विघ्नहर्ता सिद्धि विनायक।। हम तो हैं भक्त प्रभु नादान। आए हैं शरण दयालु जान।। रखिए प्रभु हमारा भी मान। दीजिए हमारी ओर ध्यान।। हमको निहारिए सुखदायक। हे गणपति बप्पा!गणनायक ।। भटक रहे जग की माया में । मैल चढ़ रहा इस काया में ।। अंधकारमय है…