बरसो मेघा प्यारे

बरसो मेघा प्यारे | Kavita

बरसो मेघा प्यारे ( Barso megha pyare )   तपती रही दोपहरी जेठ की आया आषाढ़ का महीना धरा तपन से रही झूलसती सबको आ रहा पसीना   कारे कजरारे बादल सारे घिर कर बरसो मेघा प्यारे क्षितिज व्योम में छा जाओ उमड़ घुमड़ कर आ जाओ   मूसलाधार गरज कर बरसो रिमझिम बरस झड़ी…

पर्वत प्रदेश में पावस

पर्वत प्रदेश में पावस | Kavita

पर्वत प्रदेश में पावस ( Parvat Pradesh Mein Pavas )   पावसी बूंदे पड़ते ही पर्वत झूमने है लगते.. पेड़  पौधे  फूल  सभी  मुस्कुराने  है लगते .. चट्टानों पर छा जाती है चाहुओर हरियाली मानो उपवन में कोई मोर नाचने है लगते।   रिमझिम बूंदें है गाती  भीगती है चोटियां… छनन छनन खलल खलल गाती…

कलम की आवाज

कलम की आवाज | Kavita

कलम की आवाज ( Kalam ki aawaj ) ( मेरी कलम की आवाज सर्वश्रेष्ठ अभिनेता दिलीप साहब जी को समर्पित करती हूं ) “संघर्षों से जूझता रहा मगर हार न मानी, करता रहा कोशिश मगर जुबां पर कभी न आई दर्द की कहानी”। कुल्हाड़ी में लकड़ी का दस्ता न होता तो लकड़ी के काटने का…

सड़क सुरक्षा | Kavita

सड़क सुरक्षा | Kavita

सड़क सुरक्षा  (Sadak  Suraksha )   अपने और अपने परिवार पर कुछ तो तरस खाइए सड़क पर यूँ लापरवाही से गाड़ी मत चलाइएँ । जिंदगी है अनमोल रत्न इसे व्यर्थ ना गवाइएँ सड़क सुरक्षा नियमों को अपने जीवन में अपनाइए ।।     कुछ नौजवान बिना हेलमेट के गाड़ी चलाते हैं कहते हैं हेल्मेट से…

फिर चुनावी मौसम में,बारूदी है गंध।

दोहा दशक | Doha Dashak

दोहा दशक ( Doha Dashak )   फिर  चुनावी  मौसम  में, बारूदी  है  गंध। खबरों का फिर हो गया,मजहब से अनुबंध।   अपनों  से  है  दूरियां,उलझे हैं संबंध। भावों से आने लगी,कड़वाहट की गंध।   ढूंढ़ रहे हैं आप जो,सुख का इक आधार। समझौता  हालात  से, करिए  बारंबार।   उसका ही संसार में,है जीवन अति…

माँ 

माँ | Maa par ek kavita

माँ  ( Maa par ek kavita )   माँ तेरी ममता की छाया, पली बढ़ी और युवा हुई, निखर कर बनी सुहागन, माँ बनकर,पाया तेरी काया।।   अब जानी माँ क्या होती? सुख-दुःख की छाया होती । माँ के बिना जहाँ अधूरा, माँ है तो सारा जहाँ हमारा ।।   माँ हीं शक्ति, माँ हीं…

आषाढ़ के बादल

आषाढ़ के बादल | Kavita

आषाढ़ के बादल ( Ashadh ke baadal ) उमड़ घुमड़ कर आ गए आषाढ़ के बादल अंबर  में  घिर  छा गए  आषाढ़  के  बादल रिमझिम मूसलाधार बरसता घनघोर घटा छाए कड़ कड़ करती दामिनी काले बदरा बरसाए गड़ गड़ कर गर्जन करते आषाढ़ के बादल झील ताल तलैया भरते आषाढ़ के बादल हरियाली खेतों में…

मैं फिर आऊँगा

मैं फिर आऊँगा | Kavita Main Phir Aunga

मैं फिर आऊँगा ( Main phir aunga )   सुनो..तुम याद रखना मैं फिर आऊँगा टूटा हुआ विश्वास लौटाने टूटी हुई उम्मीद पाने को अपने बीच पड़ चुकी अविश्वास और नाउम्मीदी की गाँठ को खोलने के लिए…. मैं फिर आऊँगा एक न एक दिन ये तुम्हें यकीन दिलाता हूँ कि लौटना कठिन क्रिया नहीं है…

उजाले मिट नहीं सकते

उजाले मिट नहीं सकते | Kavita

उजाले मिट नहीं सकते ( Ujale mit nahin sakte )   हटा लो दीप द्वारे से, उजाले ये नही करते। जला लो मन में दीपों को,उजाले मिट नही सकते। जो जगमग मन का मन्दिर है,कन्हैया भी वही पे है, अगर श्रद्धा भरा मन है, तो फिर वो जा नही सकते। हटा लो दीप द्वारे से,…

Pehchan

पहचान | Kavita

पहचान ( Pehchan )   प्रेम के मोती लुटाओ प्रतिभा कोई दिखाओ पहचान  जग  में  कोई  नई  बनाईए सफलता मिल सके पर्वत भी हिंल सके जंग  भरी  दुनिया  में  हौसला  बनाइए लगन से मेहनत रंग जरूर लाएगी पहचान जग में आप ऐसी बनाईए पूर्वजों की साख में चार चांद लग जाए कर्म  पथ  पर  अपनी …