बरसो मेघा प्यारे | Kavita
बरसो मेघा प्यारे ( Barso megha pyare ) तपती रही दोपहरी जेठ की आया आषाढ़ का महीना धरा तपन से रही झूलसती सबको आ रहा पसीना कारे कजरारे बादल सारे घिर कर बरसो मेघा प्यारे क्षितिज व्योम में छा जाओ उमड़ घुमड़ कर आ जाओ मूसलाधार गरज कर बरसो रिमझिम बरस झड़ी…