Hindi Kavita | Hindi Poem -कष्ट निशा के मन का
कष्ट निशा के मन का ( Kasht Nisha Ke Man Ka ) चंदा तुमसे कहां छुपा है, कष्ट निशा के मन का । चलते चलते छुप जाते हो, करो प्रयास हरन का ।। एक पत्ती जो हिली हवा से, सिहर सिहर वो उठती। मूर्तरूप लेती कुछ यांदे, लहर क्षोभ की उठती ।।…