स्त्री मन सदा कुंवारा
स्त्री मन सदा कुंवारा कोमल निर्मल सरस भाव, अंतर अनंत मंगल धार । त्याग समर्पण प्रतिमूर्ति, धैर्य संघर्ष जीवन सार । सृजन अठखेलियों संग, अनामिक अविरल धारा । स्त्री मन सदा कुंवारा ।। अप्रतिम श्रृंगार सृष्टि पटल, स्नेहगार दया उद्गम स्थल । पूजनीय कमनीय शील युत, नैतिक अवलंब दृष्टि सजल । आत्मसात नित्य यथार्थ बिंदु,…