Divya anubhuti

दिव्य अनुभूति | Divya anubhuti | Chhand

दिव्य अनुभूति ( Divya anubhuti ) मनहरण घनाक्षरी   साधना आराधना से, दिव्य अनुभूति पाई। त्याग तप ध्यान योग, नित्य किया कीजिए‌।   हरि नाम सुमिरन, जपो नित अविराम। राम राम राम राम, भज लिया कीजिए।   मंदिर में दीप कोई, जलाता ले भक्तिभाव। रोशन यह जग सारा, ध्यान किया कीजिए।   घट घट वासी…

Budhape ki dehri

बुढ़ापे की देहरी | Budhape ki dehri | Chhand

बुढ़ापे की देहरी ( Budhape ki dehri ) मनहरण घनाक्षरी बुढ़ापे की देहरी पे, पग जब रख दिया। हाथों में लकड़ी आई, समय का खेल है।   बचपन याद आया, गुजरा जमाना सारा। बालपन की वो यादे, सुहानी सी रेल है।   भागदौड़ जिंदगी की, वक्त की मार सहते। लो आया बुढ़ापा देखो, नज़रो का…

Chhand dakiya

डाकिया | Chhand dakiya

डाकिया ( Dakiya ) मनहरण घनाक्षरी   सुख-दुख के संदेश, खुशियों के प्यार भरे। डाकिया का इंतजार, होता घर द्वार था।   आखर आखर मोती, चिट्ठी की महक लाता। इक छोटा पोस्टकार्ड, कागज में प्यार था।   चूड़ियों की खनक भी, बुलंदी की ललक भी। खुशियों का खजाना वो, डाक लाता जब था।   वो…

Chhand daan aur dakshina

दान और दक्षिणा | Chhand daan aur dakshina

दान और दक्षिणा ( Daan aur dakshina )   मनहरण घनाक्षरी     दान दीजिए पात्र को, दक्षिणा विप्र जो होय। रक्तदान महादान, जीवन बचाइए।   पात्र सुपात्र को देख, दान जरूर कीजिए। अन्नदान सर्वोत्तम, भोजन खिलाइए।   अनुष्ठान करे कोई, जप तप पूजा-पाठ। ब्राह्मण भोजन करा, दक्षिणा दिलाइए।   तुलादान छायादान, कर सको कन्यादान।…

Chhand Tulsidas Ji

तुलसीदास जी | Chhand Tulsidas Ji

तुलसीदास जी ( Tulsidas Ji ) मनहरण घनाक्षरी   तुलसी प्यारे रामजी, राम की कथा प्यारी थी। प्यारा राम रूप अति, रामलीला न्यारी थी।   राम काव्य राम छवि, नैनों में तुलसीदास। रामचरितमानस, राम कृपा भारी थी।   चित्रकूट चले संत, दर्शन को रघुनाथ। रामघाट तुलसी ने, छवि यूं निहारी थी।   राम नाम रत…

Chhand jeth ki garmi

जेठ की गर्मी | Chhand jeth ki garmi

जेठ की गर्मी ( Jeth ki garmi ) मनहरण घनाक्षरी     चिलचिलाती धूप में, अंगारे बरस रहे। जेठ की दुपहरी में, बाहर ना जाइये।   गर्मी से बेहाल सब, सूरज उगले आग। तप रही धरा सारी, खुद को बचाइये।   त्राहि-त्राहि मच रही, प्रचंड गर्मी की मार। नींबू पानी शरबत, सबको पिलाइये।   ठंडी…

kundaliya chhand

सूर्य अस्त होने लगा | कुण्डलिया छंद | Kundaliya chhand ka udaharan

सूर्य अस्त होने लगा ( Surya ast hone laga )   सूर्य अस्त होने लगा, मन मे जगे श्रृंगार। अब तो सजनी आन मिल, प्रेम करे उदगार।। प्रेम करे उदगार, रात को नींद न आए। शेर हृदय की प्यास, छलक कर बाहर आए।। आ मिल ले इक बार, रात्रि जब पहुचे अर्ध्य। यौवन ऐसे खिले,…

Gaon par chhand

गाँव | Gaon par chhand

गाँव ( Gaon ) मनहरण घनाक्षरी   टेडी मेडी पगडंडी, खलिहानों की वो क्यारी। ठंडी-ठंडी बहारों में, गांव चले आइए।   मीठे मीठे बोल मिले, सद्भाव प्रेम गांव में। हरे भरे पेड़ पौधे, ठंडी छांव पाइए।   खुली हवा में सांस लो, हरियाली का आनंद। चौपाल में चर्चा चले, प्रेम बरसाइये।   सुख-दुख बांटे सब,…

Chhand siddhidatri

सिद्धिदात्री | Chhand siddhidatri

सिद्धिदात्री ( Siddhidatri ) मनहरण घनाक्षरी   नवशक्ति सिद्धिदात्री, सिद्धियों की दाता अंबे। साधक शरण माता, झोली भर दीजिए।   ध्यान पूजा धूप दीप, जप तप माला पाठ। भगवती भवानी मांँ, शरण में लीजिए।   पंकज पुष्प विराजे, चतुर्भुज रूप सोहे। कमलनयनी माता, दुख दूर कीजिए।   शंख चक्र गदा सोहे, वरदायिनी भवानी। सुख समृद्धि…

Chhand kalratri

कालरात्रि | Chhand kalratri

कालरात्रि ( Kalratri ) मनहरण घनाक्षरी   काली महाकाली दुर्गा, भद्रकाली हे भैरवी। चामुंडा चंडी रुद्राणी, कृपा मात कीजिए।   प्रेत पिशाच भूतों का, करती विनाश माता। सिद्धिदात्री जगदंबे, ज्ञान शक्ति दीजिए।   अग्नि ज्वाला से निकले, भयानक रूप सोहे। खड्ग खप्पर हाथ ले, शत्रु नाश कीजिए।   रूद्र रूप कालरात्रि, पापियों का नाश करें।…