दिल की दर्द-ए-मुहब्बत

दिल की दर्द-ए-मुहब्बत | Dard-e-muhabbat | Ghazal

दिल की दर्द-ए-मुहब्बत ( Dil kee dard-e-muhabbat )   ❣️ दिल की दर्द-ए-मुहब्बत कहूं तो किस से कहूं क्या है हमारी ख्याल-ए-वहसत कहूं तो किस से कहूं ❣️ नीला दीखता है पानी, गहराई उतना है नहीं दरिया का यही हालात जेहन का, ये बिसात कहूं तो किस से कहूं ❣️ लम्बी कहानी का छोटा सा…

कुछ खतायें है अक्स-ए-रुखसार में

कुछ खतायें है अक्स-ए-रुखसार में | Ghazal kuch khataayen

कुछ खतायें है अक्स-ए-रुखसार में ( Kuch khataayen hai aks e rukhsaar mein )   कुछ खतायें है अक्स-ए-रुखसार में हम बिगड़ चुके है निगाह-ए-यार में   चस्म-ए-क़ातिल से हमे भला कौन बचाये अब इस पयाम के मलाल-ए-यार में   खूब हो तुम भी के नाराज़ हो हमसे और हम पे ही ऐब है ऐतवार…

किस अंदाज़ से मुख्तलिफ थे तुम हमसे

किस अंदाज़ से मुख्तलिफ थे तुम हमसे | Ghazal kis andaaz se

किस अंदाज़ से मुख्तलिफ थे तुम हमसे ( Kis andaaz se mukhtaliph the tum humse )   राह भटक ही जाए साहिल ऐसी तो ना थी ढूंढ़ने से ना मिले मंजिल ऐसी तो ना थी   किस अंदाज़ से मुख्तलिफ थे तुम हमसे पेहले तुम भी कामिल ऐसी तो ना थी   उदासी है कैसे…

ज़ुल्मत से ये रूह डर रहा है

ज़ुल्मत से ये रूह डर रहा है | Zulamt se ye rooh dar raha hai | Ghazal

ज़ुल्मत से ये रूह डर रहा है ( Zulamt se ye rooh dar raha hai )   ❄️ ज़ुल्मत से ये रूह डर रहा है ख्वाब मेरे शौक़ से उतर रहा है ❄️ वही नदिना जी रहा है मुझमें जो मुझे हर रोज मार रहा है ❄️ नचाहते हुए तुझे मैंने चाहा है मेरी चाहत…

सूरज के क़ज़ा होते ही

सूरज के क़ज़ा होते ही | Suraj ke qaza hote hi | Ghazal

सूरज के क़ज़ा होते ही ( Suraj ke qaza hote hi )   सूरज के क़ज़ा होते ही चाँद जगमगा उठा होगा मगर हर घर, हर सेहर सो चूका होगा   में थक चूका हूँ इस आबरू के सिलसिले से ये मेरी बेबसी है की यहाँ एक और हादसा होगा   ज़रा देख हर आँखों…

ज़िन्दगी का कोई बसेरा

ज़िन्दगी का कोई बसेरा | Zindagi ka koi basera | Ghazal

ज़िन्दगी का कोई बसेरा ( Zindagi ka koi basera )   ज़िन्दगी का कोई बसेरा ढून्ढ रहा हूँ में तो बस ज़ीस्त का एक इशारा ढून्ढ रहा हूँ   एक सुर्खियों में बंधा हुआ शाम का तरन्नुम समाये सवेरा ढून्ढ रहा हूँ   उजालो से अब दिल उक्ता गया है में दिन में चाँद, सितारा…

शौक़, ना शौक़-ए-जुस्तुजू बाक़ी

ना शौक़, ना शौक़-ए-जुस्तुजू बाक़ी | Ghazal

ना शौक़, ना शौक़-ए-जुस्तुजू बाक़ी ( Na shoq-na- shoq-e -justaju baki )   ना शौक़, ना शौक़-ए-जुस्तुजू बाक़ी बस दीदार-ए-यार से रहा रु-ब-रु बाक़ी   इस क़दर टूट कर नूर-ए-मुजस्सम को चाहना की रहे ना जिस्म में कोई क़तरा, कोई लहू बाक़ी   कट रही है ज़िन्दगी अपनी ही रफ़्तार में सफर मगर हमारा रहा…

हम जिस्म-ओ-जान से दिल के तलबगार है

हम जिस्म-ओ-जान से दिल के तलबगार है | Ghazal dil ke talabgar

हम जिस्म-ओ-जान से दिल के तलबगार है ( Hum jism -o -jaan se dil ke talabgar )   खुसबू से पीछा छुड़ाने को बागों में टहलते है पस-ए-पर्दा आँखों का हम भी समझते है   ज़िन्दगी फ़क़त कुछ दिनों के यूँ ही गुजर जाएगा चलो बैठ कर कहीं इसको गुज़रते देखते है   हम जिस्म-ओ-जान…

गीत लिखे हजार मगर

गीत लिखे हजार मगर | Geet likhe hajar magar

गीत लिखे हजार मगर ( Geet likhe hajar magar )   गीत लिखे हजार मगर गाया ना जा सके दर्द मिले ऐसे की बताया ना जा सके इस ज़ुबानी फ़र्क़ की इम्तेहान में खुद को बचाया ना जा सके लिखा है कुछ तो मगर क्या लिखे ऐसे की जनाया ना जा सके शोर इतना हो…

दयार-ए-इश्क़ से डर गए हम भी

दयार-ए-इश्क़ से डर गए हम भी | Dayaar -e- ishq

दयार-ए-इश्क़ से डर गए हम भी ( Dayaar -e- ishq se dar gaye hum bhi )   दयार-ए-इश्क़ से डर गए हम भी फिर तेरे तलाश में दर-ब-दर गए हम भी   ज़िन्दगी भर बूतान-ए-इश्क़ के किस्से सुने और पयान-ए-शौक़ से गुज़र गए हम भी   तलाश में ना आगे बढ़ा, ना वहां से लौट…