कौन समझे यहां पर जुबां प्यार की | Zuban pyar ki shayari
कौन समझे यहां पर जुबां प्यार की ( Kaun samjhe yahan par zuban pyar ki ) कौन समझे यहां पर जुबां प्यार की। रौनकें खो गई सारी गुलजार की।। हर तरफ तल्खियों का है मौसम सदा। छा रही है बहारें यहां ख़ार की।। छल-कपट से भरा हर बशर है यहां। बात सारे…