आया बसंत सुहाना | Chhand Aaya Basant Suhana
आया बसंत सुहाना
( Aaya basant suhana )
जलहरण घनाक्षरी
आया बसंत सुहाना, उपवन महका रे।
झूम झूम नाचे गाते, सारे ठहर ठहर।
फागुन की मस्ती छाई, रूत ये सुहानी आई।
मधुमास महकता, आया लहर लहर।
सरसों लहलहाई, मस्त चली पुरवाई।
बहार ले अंगड़ाई, चली सहर सहर।
धमालो की थाप गूंजे, मस्तानों की टोली गाये।
होली पे रसिया गाये, गीत अधर अधर।
रचनाकार : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )
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