CRPF Jawan

सी आर पी एफ जवान हूॅं | CRPF Jawan

सी आर पी एफ जवान हूॅं

( CRPF jawan hoon )

 

जो ख़्वाहिशें है हमारी उनको पूरी करने में रहता हूॅं,
दिन-रात का पता ना चलता बस लिखता-रहता हूॅं।
परिस्थिति ख़राब होने पर भी घबराया ना करता हूॅं,
एक पहचान बनानें को ज़िद्दी रस्तें चलता-रहता हूॅं।।

कभी कहानी कभी कविता मुक्तक दोहे लिखता हूॅं,
कोई गुस्से से बात करे तो चुपचाप सुनता रहता हूॅं।
तनहाईयों की इन रातों में करवट बदलता रहता हूॅं,
डर है कही नशा उतर जाऍं इसलिए पीता रहता हूॅं।।

फेल-पास का फ़िक्र नही है कौशिश करते रहता हूॅं,
गुज़रे वक्त को याद ‌करके पछताऍं उनमे मैं नही हूॅं।
ये ज़िम्मेदारियों का दायित्व निभाने को तैयार मैं हूॅं,
मरते-दम तक मातृभूमि की सुरक्षा को मैं तैयार हूॅं।।

नही वी आई पी नही अधिकारी बस एक जवान हूॅं,
ताकतवर इंसान नही बस साधारण सी आवाज़ हूॅं।
पहचान मेरी कुछ ख़ास नही है फिरभी मैं ख़ास हूॅं,
लहराते खेत की टहनी हूॅं अपने घर का विश्वास हूॅं।।

माॅं शारदे का आशीष पाकर आज बहुत मैं धन्य हूॅं,
मुॅंह से कहकर नही मुकरता ऐसा सच्चा इन्सान हूॅं।
चाहे मेरे साथ ना दो मेरी फिर भी मैं उनके साथ हूॅं,
माॅं भारती का लाल एवं सी आर पी एफ जवान हूॅं।।

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

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