किसान | Kisan par kavita
किसान
( Kisan )
क्या करें मजबूर किसान….||
1.बैलों को हल मे नह दिया, पसीना बहाये किसान |
सून-सान पड़ी जमीन पर, हल रहा चलाये किसान |
बीज डाल पानी सींचा, अब चौंकीदारी होने लगी |
भरपूर फसल का सपना ले, खुशिहाली होने लगी |
क्या करें मजबूर किसान….||
2.दिन दोपहरी रात-दिन, मेहनत कड़ी होने लगी |
अब अंकुरित फसलें हुईं, कुछ पत्तियां दिखने लगी |
आसमान ने मुंह मोड लिया, बदलियां गुर्राने लगी |
चेहरा मुरझाया हो गया, बिजलियां भी डराने लगी |
क्या करें मजबूर किसान….||
3.कर्ज लिया कुछ ब्याज से, फिर पानी सींचा खेत में |
समय रहते नहीं दिया तो, ब्याज डबल बताया सेठ ने |
फरियाद की फसलें लहराईं, बहारें खुशियाँ ले आईं |
पकी फसल फिर पानी-ओले, चेहरे पर मायूसी छाई |
क्या करें मजबूर किसान….||
4.जैसे तैसे काटीं फसलें, खर्च भी नहीं हुआ बसूल |
जिसका नफा वो खुश है, घाटे वालों को लगा त्रिसूल |
सेठ के कर्ज का निवाला, उसके गले मे अटक गया |
अगली दिन खबर आई, किसान फांसी मे लटक गया |
क्या करें मजबूर किसान….||
कवि : सुदीश भारतवासी
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