Arth

अर्थ | Arth

अर्थ ( Arth ) अर्थ में ही अर्थ हैअर्थ के बिना सब व्यर्थ है। सत्य साधना या सत्कारसभी के लिए है यह जरूरी,जीवन का आवश्यक यह शर्त हैअर्थ के बिना सब अनर्थ है। सीधे मुॅंह कोई बात नहीं करतानजर रहती सभी की वक्र है,साज सम्मान के लिए यह जरूरीअर्थ नहीं तो यह दुनिया लगती व्यर्थ…

नंदवन के घर आनंद लाल

नंदवन के घर आनंद लाल

नंदवन के घर आनंद लाल दयावान ही चक्रधारी है ,मुरलीवाला ही चमत्कारी है lराधा – कृष्ण – रुक्मणि है ,तरल लीला , कृष्ण लीला lसखी राधा तो सखा सुदामा l मुरली अगर सुरों की लीला ,तो मेघ सजे वर्षा की लीला lउँगली बनी गोवर्धन लीला ,कद्रू पुत्र यमुना कुंड लीला lआलम, मीरा, सुर में भी…

कैसे बनता तूँ शायर

डॉ. जसप्रीत कौर फ़लक द्वारा अनुवादित पुस्तक “कैसे बनता तूँ शायर” मोहन सिंह मेले पर लोकार्पित

आज जगदेव सिंह जस्सोवाल (लुधियाना) की स्मृति में 46वें प्रो. मोहन सिंह मेले पर प्रो. मोहन सिंह की चुनिंदा रचनाओं का हिंदी में अनुवाद की गई पुस्तक “कैसे बनता तूँ शायर” लोकार्पित की गई। इसका अनुवाद पंजाबी और हिंदी की प्रसिद्ध शायरा डॉ. जसप्रीत कौर फ़लक द्वारा किया गया, जो लगभग पाँच साल की कठिन…

बापू से गुहार | Bapu se Guhar

बापू से गुहार | Bapu se Guhar

बापू से गुहार ( Bapu se guhar ) प्यारे बापू आज अगर तुम इस युग में जिंदा होते।हम जैसे निष्क्रिय लोगों के बीच में तुम जिंदा होते ।देख के सारी चाल कुचालें तुम बापू,निश्चय ही हम सब से तुम शर्मिंदा होते । 1 आओ बापू अब फिर से तुम भारत में आओ।आज के नेताओं को…

धूप ऐसी पड़ी मुह़ब्बत की

धूप ऐसी पड़ी मुह़ब्बत की

धूप ऐसी पड़ी मुह़ब्बत की धूप ऐसी पड़ी मुह़ब्बत की।खिल उठी हर कली मुह़ब्बत की। शम्अ़ नफ़रत की बुझ गई फ़ौरन।बाद जब भी चली मुह़ब्बत की। उड़ गए होश सब रक़ीबों के।बात ऐसी उड़ी मुह़ब्बत की। बाद मुद्दत के आज देखी है।उनके रुख़ पर हंसी मुह़ब्बत की। लाख शोअ़ले उठे बग़ावत के।पर न सूखी नदी…

फूल तो ज़िन्दगी में खिला ही नहीं

फूल तो ज़िन्दगी में खिला ही नहीं

फूल तो ज़िन्दगी में खिला ही नहीं फूल तो ज़िन्दगी में खिला ही नहींकोई अपना तो जग में हुआ ही नहीं आज वो भी सज़ा दे रहें हैं मुझेजिनसे अपना कोई वास्ता ही नहीं मैं करूँ भी गिला तो करूँ किसलिएकोई अपना मुझे तो मिला ही नहीं जिनसे करनी थी कल हमको बातें बहुतउसने लम्हा…

हम रोते हैं

हम रोते हैं | Hum Rote Hain

हम रोते हैं ( Hum Rote Hain ) दुख में तन्हा हम रोते हैंसुख में शामिल सब होते हैं खार ही खार दिखे हैं हर सूहम हर सू जब गुल बोते हैं फ़सलों पर हक़ ग़ैर जतायेंखेत तो जब हमने जोते हैं लालच के रथ पर जो बैठेंअपना भी वो धन खोते हैं उनके आँसू…

बज़्म को अब न आज़माओ तुम

बज़्म को अब न आज़माओ तुम

बज़्म को अब न आज़माओ तुम बज़्म को अब न आज़माओ तुमशेरों में कुछ नया सुनाओ तुम बिन तेरे हम न जी सकेंगे अबदूर नज़रों से यूँ न जाओ तुम वो भी बेटी किसी के है घर कीअब न दुल्हन कोई जलाओ तुम अम्न का दीप है जलाया जबये अदावत भी अब मिटाओ तुम हो…

एड्रिएन रिच

एड्रिएन रिच की अनुवादित कविता | अनुवादक- दीपक वोहरा

एड्रिएन रिच का जन्म 1929 में बाल्टीमोर, मैरीलैंड, यू.एस.ए. में हुआ था। वह लगभग बीस काव्य संग्रहों की लेखिका हैं और उन्हें एक नारीवादी और क्रांतिकारी कवयित्री कहा जाता है। पेड़ एक बिम्बों से सजी बहुत गहरी सिंबॉलिक कविता है। कवयित्री ने घर, पेड़ और जंगल तीन प्रतीक लिए हैं। घर समाज है, जहां स्त्री…

वाल्ट व्हिटमैन

वाल्ट व्हिटमैन की अनुवादित कविता | अनुवादक- दीपक वोहरा

वाल्ट व्हिटमैन (1819-1892) को अमेरिका के सबसे प्रभावशाली कवियों में से एक माना जाता है। उनका कविता संग्रह, लीव्स ऑफ़ ग्रास, अमेरिकी साहित्य के इतिहास में एक मील का पत्थर है। व्हिटमैन ट्रान्सेंडैंटलिज़्म और यथार्थवाद के बीच संक्रमण का हिस्सा थे, और उनका काम अक्सर अमेरिकी अनुभव और उसके लोकतंत्र की प्रकृति पर केंद्रित होता…