पर्यावरण देता हिदायत || Kavita
पर्यावरण देता हिदायत
( Paryavaran deta hidayat )
मैं पर्यावरण हूं,
तुम सब का आवरण हूं।
रख लोगे गर मुझे सुरक्षित ,
हो जाओगे तुम भी सुरक्षित।
मैं करू सहन अब कितना?
होता न सहन अब इतना।
तुम मानव की गलती पर ,
मैं कुढ़ कुढ़ रोता हूं।
मेरी एक ही गलती पर,
देखो सहमी पूरी धरती है,
हे मानव हो जाओ सावधान ,
अभी बाकी है कुछ उदाहरण।
मैं पर्यावरण हूं,
तुम सबका आवरण हूं।
मैं करता हूं तुमसे शिकायत,
और देता हूं तुमको हिदायत।
पेड़ लगाओ पानी बचाओ,
प्राणवायु बढ़ाओ, जान बचाओ।
एक एक वृक्ष लगाओ ,
दश दश पुत्र बचाओ।
मैं पर्यावरण हूं
तुम सबका आवरण हूं।
रख लोगे गर मुझे सुरक्षित
हो जाओगे तुम भी सुरक्षित।
लेखक– धीरेंद्र सिंह नागा
(ग्राम -जवई, पोस्ट-तिल्हापुर, जिला- कौशांबी )
उत्तर प्रदेश : Pin-212218