शान तिरंगे की | Tiranga par kavita
शान तिरंगे की
( Shaan tiranga ki )
सबसे ऊंची आज जगत् में
शान तिरंगे की ।
वर्षों बाद लौटी है
पहचान तिरंगे की।।
अब बीच खङी ये
नफ़रत की दीवार गिरने दो।
अमन पैग़ाम है इसका
समझो जुबान तिरंगे की।।
तलवारें वहशत की लेकर
ना काटो डोर उलफत की।
सलामत यूं ही रहने दो
ये मुस्कान तिरंगे की।।
कोई मजहब नहीं ऐसा,
बढाए वैर आपस मे।
दिल से दिल मिला लो तुम,
राखो आन तिरंगे की।।
लहु हरग़िज नही अच्छा
बहे जो बेगुनाहों का।
“कुमार” हिम्मत दिखाओ यूं ,
हो कुर्बान तिरंगे की।।