आम आदमी की किस्मत | Aam aadmi par kavita
आम आदमी की किस्मत ! ***** ( Aam Aadmi Ki Kismat ) आम आदमी पिस रहा है, सड़कों पर जूते घिस रहा है। मारा मारा फिरता है इधर से उधर, समझ नहीं पाए- जाएं तो जाएं किधर । चहुंओर सन्नाटा है, सहायता को कहीं जाता है? निराशा ही निराशा उसे हाथ आता है। सरकारी…