सत्यमेव जयते

सत्यमेव जयते | Satyameva Jayate | kavita

सत्यमेव जयते ( Satyameva Jayate ) ***** डाॅ० कफिल की रिहाई, मीडिया में है छाई। यह बात फिर उभरकर आई, सत्य परेशान हो सकता है- पराजित नहीं भाई । यह कोई नहीं बात नहीं सैकड़ों ऐसे किस्से है सदियों सुने , सुनाए जा रहे हैं। फिर भी वही गलती सब दोहराए जा रहे हैं। ताज़ा…

पौधे देख सुन सकते हैं

पौधे देख सुन सकते हैं | Poem on plant in Hindi

पौधे देख सुन सकते हैं ( Paudhe dekh sun sakte hain ) *****   देख सुन और बात है करते! पौधे ! क्या आप हैं जानते ? क्या? हां ,सही सुना आपने- यह सत्य भी है भैया, यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टर्न आस्ट्रेलिया की मोनिका गागलियानों ने है साबित किया। पहले तो थे यही जानते, पौधे हंसते…

प्रकृति की सीख

प्रकृति की सीख | Poem prakriti ki seekh

प्रकृति की सीख ( Prakriti ki seekh )   बदलना प्रकृति की फितरत फिर क्यों इंसान हिस्सेदार हैं। प्रकृति के बदलने में कहीं ना कहीं इंसान भी बराबर जिम्मेदार हैं।   जैसे तप और छाया देना प्रकृति का काम हैं। वैसे ही कभी खुशी कभी गम, जिंदगी का नाम हैं।   कभी कबार पूछता, आसमां…

सब मौन क्यों ?

सब मौन क्यों | Poem sab maun kyon

सब मौन क्यों ? ( Sab maun kyon ) *****  गिरी जीडीपी! बढ़ी महंगाई, डीजल पेट्रोल के मूल्य हैं हाई। कोरोना का हुआ आगमन, ताली थाली से हुआ स्वागतम! पहले शर्माया, फिर पूरी तैयारी कर आया। अब कहर ढा रहा है, दिनों-दिन रूला रहा है। बढ़ी हुई है बेकारी, चहुंओर है मारामारी। युवाओं की है…

अनलाॅक 4.0

अनलाॅक 4.0 | Kavita unlock 4.0

अनलाॅक 4.0 ( Unlock 4.0 ) *** लाॅकडाउन से छुटकारा मिला है, कोरोना से नहीं! बाजार जाएं शौक से पर बरतें सावधानियां कई? बात नहीं है कोई नई, सारी हैं वही। लापरवाही पड़ सकती है भारी, निकल जाएगी सारी होशियारी। संक्रमण से रहना है बचकर, तो निकलो मास्क पहनकर। व्यक्तिगत दूरी का भी रखें ख्याल,…

एक अजीब लड़की

एक अजीब लड़की | Poem ek ajeeb ladki

एक अजीब लड़की ! ( Ek ajeeb ladki ) ***** घड़ी घड़ी कपड़े है बदलती, बिना काम बाजारों में है टहलती। अभी दिखी थी साड़ी में, अब आई है गाउन में; नयी नयी लग रही है टाउन में। अधरों पर लिए अजीब मुस्कान, कुछ खास नहीं उसकी पहचान। मुखरे पर किए अतिशय श्रृंगार, युवा धड़कनें…

सब क्यों नहीं?

सब क्यों नहीं | Kyon nahi | kavita

सब क्यों नहीं ? ( Sab kyon nahi ) ***** खुशबू सा महक सकते? चिड़ियों सा चहक सकते? बादलों सा गरज सकते? हवाओं सा बह सकते? बिजली सा चमक सकते? बर्फ सा पिघल सकते? सूर्य सा जल सकते? नदियों सा लहरा सकते? तिरंगा सा फहरा सकते? भौरों सा गुनगुना सकते? कोयल सी कू कू कर…

रक्त पीना : मच्छरों की शौक या मजबूरी ?

रक्त पीना : मच्छरों की शौक या मजबूरी | Machchhar par kavita

रक्त पीना : मच्छरों की शौक या मजबूरी? ******* ये हम सभी जानते हैं, मच्छर खून पीते हैं। डेंगी , मलेरिया फैलाते हैं, सब अक्सर सोचते हैं! ये ऐसा करते क्यों हैं? पीते खून क्यों हैं? जवाब अब सामने आया है, प्रिंसटन यूनिवर्सिटी ने बताया है; जवाब ने सबको चौंकाया है। आरंभ से मच्छरों को…

ईद की आयी यारों हसीं रात है

ईद की आयी यारों हसीं रात है | Eid shayari

ईद की आयी यारों हसीं रात है ( Eid ki aayi yaaron haseen raat hai )     ईद की आयी यारों हसीं रात है हर तरफ़ खुशियों की चांदनी रात है   दुश्मनों के पहरे हट गऐ शहर से हां गमों की यारों ढ़ल गयी रात है   वरना खो जाऐगे शहर की गलियों…

हरि अब दर्शन दो

हरि अब दर्शन दो | Poem hari ab darshan do

हरि अब दर्शन दो  ( Hari ab darshan do ) ***** ओ री हरि, अब दर्शन दो री। कलयुग में- मति गई मारी, क्या राजा? क्या भिखारी? जगत पापी से भरी, भगत पापी से लड़ी। धरा को है कष्ट अपार, त्राहि-त्राहि करे संसार। ओ री हरि, अब दर्शन दो री। असत्य सत्य पर अब है…