किस्सा-दर-किस्सा | Kissa-dar-kissa | Ghazal
किस्सा-दर-किस्सा ( Kissa-dar-kissa ) किस्सा-दर-किस्सा का मुझे साफ़ बयानी चाहिए कुछ किताबें, कुछ रंजिशें और कुछ गुमानी चाहिए ये भी बहोत खूब है, तुम्हे कुछ भी तो नहीं चाहिए और एक में हूँ जिसको सफर भी सुहानी चाहिए ज़िन्दगी गुजर सकती है बस एक भरम के साथ मुहब्बत की राह में…