किस्सा-दर-किस्सा

किस्सा-दर-किस्सा | Kissa-dar-kissa | Ghazal

किस्सा-दर-किस्सा ( Kissa-dar-kissa )     किस्सा-दर-किस्सा का मुझे साफ़ बयानी चाहिए कुछ किताबें, कुछ रंजिशें और कुछ गुमानी चाहिए   ये भी बहोत खूब है, तुम्हे कुछ भी तो नहीं चाहिए और एक में हूँ जिसको सफर भी सुहानी चाहिए   ज़िन्दगी गुजर सकती है बस एक भरम के साथ मुहब्बत की राह में…

उसके आँखों में सुहाल होगा

उसके आँखों में सुहाल होगा | Ghazal uske aankhon mein

उसके आँखों में सुहाल होगा ( Uske aankhon mein suhal hoga )   उसके आँखों में सुहाल होगा और कहाँ इस जहाँ में येसे मिराल होगा   हुस्न-ए-अंदाज़ से टुटा था जो दील अब जुड़ने में मुहाल होगा   हालत-ए-हाल जो हमारी है ये उसी का कमाल होगा   इसी आरज़ू के साथ अर्सो से…

वह छुपे पत्थर के टूटने पर मीर ही ना हुई

वह छुपे पत्थर के टूटने पर मीर ही ना हुई | Ghazal meer na huee

वह छुपे पत्थर के टूटने पर मीर ही ना हुई ( Vah chhupe patthar ke tootne par meer na huee )   वह छुपे पत्थर के टूटने पर मीर ही ना हुई खामोशी से क़ुबूल हुआ, तफ़्सीर ही ना हुई   बिछड़ कर भी वह सुलह करना चाहती है जुर्म नहीं किया उसने कोई तो…

तर्क-ए-आम ना कर मुझसे मुहब्बत का

तर्क-ए-आम ना कर मुझसे मुहब्बत का | Ghazal tark-e-aam

तर्क-ए-आम ना कर मुझसे मुहब्बत का ( Tark-e-aam na kar mujhse muhabbat ka )   सच का खिदमत भी हो तो कुछ इश्क़ की तरह कभी खैरियत भी हो तो कुछ इश्क़ की तरह   तर्क-ए-आम ना कर मुझसे मुहब्बत का अब इबादत भी हो तो कुछ इश्क़ की तरह   बे-बसर ज़िन्दगी का बसर…

चौखट में कोई आए तो

चौखट में कोई आए तो | Chaukhat mein koi aaye to | Ghazal

चौखट में कोई आए तो ( Chaukhat mein koi aaye to )     चौखट में कोई आए तो लगता है की तुम हो धीमे से गले कोई लगाए तो लगता है की तुम हो   मेरी सांसें भी अब तो कुछ कुछ खफा है मुझसे जब भी यह मुझे मनाए तो लगता है की…

दिल की दर्द-ए-मुहब्बत

दिल की दर्द-ए-मुहब्बत | Dard-e-muhabbat | Ghazal

दिल की दर्द-ए-मुहब्बत ( Dil kee dard-e-muhabbat )   ❣️ दिल की दर्द-ए-मुहब्बत कहूं तो किस से कहूं क्या है हमारी ख्याल-ए-वहसत कहूं तो किस से कहूं ❣️ नीला दीखता है पानी, गहराई उतना है नहीं दरिया का यही हालात जेहन का, ये बिसात कहूं तो किस से कहूं ❣️ लम्बी कहानी का छोटा सा…

कुछ खतायें है अक्स-ए-रुखसार में

कुछ खतायें है अक्स-ए-रुखसार में | Ghazal kuch khataayen

कुछ खतायें है अक्स-ए-रुखसार में ( Kuch khataayen hai aks e rukhsaar mein )   कुछ खतायें है अक्स-ए-रुखसार में हम बिगड़ चुके है निगाह-ए-यार में   चस्म-ए-क़ातिल से हमे भला कौन बचाये अब इस पयाम के मलाल-ए-यार में   खूब हो तुम भी के नाराज़ हो हमसे और हम पे ही ऐब है ऐतवार…

किस अंदाज़ से मुख्तलिफ थे तुम हमसे

किस अंदाज़ से मुख्तलिफ थे तुम हमसे | Ghazal kis andaaz se

किस अंदाज़ से मुख्तलिफ थे तुम हमसे ( Kis andaaz se mukhtaliph the tum humse )   राह भटक ही जाए साहिल ऐसी तो ना थी ढूंढ़ने से ना मिले मंजिल ऐसी तो ना थी   किस अंदाज़ से मुख्तलिफ थे तुम हमसे पेहले तुम भी कामिल ऐसी तो ना थी   उदासी है कैसे…

ज़ुल्मत से ये रूह डर रहा है

ज़ुल्मत से ये रूह डर रहा है | Zulamt se ye rooh dar raha hai | Ghazal

ज़ुल्मत से ये रूह डर रहा है ( Zulamt se ye rooh dar raha hai )   ❄️ ज़ुल्मत से ये रूह डर रहा है ख्वाब मेरे शौक़ से उतर रहा है ❄️ वही नदिना जी रहा है मुझमें जो मुझे हर रोज मार रहा है ❄️ नचाहते हुए तुझे मैंने चाहा है मेरी चाहत…

सूरज के क़ज़ा होते ही

सूरज के क़ज़ा होते ही | Suraj ke qaza hote hi | Ghazal

सूरज के क़ज़ा होते ही ( Suraj ke qaza hote hi )   सूरज के क़ज़ा होते ही चाँद जगमगा उठा होगा मगर हर घर, हर सेहर सो चूका होगा   में थक चूका हूँ इस आबरू के सिलसिले से ये मेरी बेबसी है की यहाँ एक और हादसा होगा   ज़रा देख हर आँखों…