प्रेम में डूबी स्त्री

प्रेम में डूबी स्त्री | Kavita

प्रेम में डूबी स्त्री ( Prem me dubi stree )   प्रेम में डूबी किसी स्त्री को कभी कोई फर्क़ नहीं पड़ता कि तुम कितने पढ़े लिखे हो या फिर अनपढ़, तुम दिन के दो सौ रूपए कमाते हो या दो हज़ार, तुम सबसे सुंदर दिखते हो या बदसूरत !… बस, उसे तो फ़र्क सिर्फ़…

चक्र समय का चलता है

चक्र समय का चलता है | Kavita

चक्र समय का चलता है ( Chakra ka samay chalta hai )   परिवर्तन नित निरंतर होता जग का आलम बदलता है नई सोच नई उमंगे भर चक्र समय का चलता हैं   सुख दुख जीवन के पहलू आंधी तूफान आते जाते जो लक्ष्य साध कर चलते व़ो मंजिलों को पा जाते   शनै शनै…

कोप कुदरत का

कोप कुदरत का | Kavita

कोप कुदरत का ( Kop kudrat ka )   कुदरत कोप कर रही सारी आंधी तूफान और महामारी फिर भी समझ न पाया इंसां भूल हुई है अब हमसे भारी   खनन कर खोखली कर दी पावन गंगा में गंदगी भर दी पहाड़ों के पत्थर खूब तोड़े खुद ही खुद के भाग्य फोड़े   सड़के …

बहु राज

बहु राज || Kavita

बहु राज ( Bahu Raj )   छोटे-छोटे  जब  थे  लाल मात-पिता कितने खुशहाल !   जननी जनक दुलारे सुत को पुत्र प्रेम में हारे खुद को  !      पाल पोस कर बड़ा किया   पैर पर उनको खड़ा किया ! मन में जागे फिर नए सपने बहू  बिना घर सुने  अपने  !  घर…

दोहा सप्तक

दोहा सप्तक | Doha Saptak

दोहा सप्तक ( Doha Saptak )   एक भयावह दौर से,गुजर रहा संसार। इक दूजे की मदद से,होगा बेड़ा पार। मानवता की सेवा में,तत्पर हैं जो लोग। दुआ कीजिए वे सदा,हरदम रहें निरोग। बेशक अवसर ढूंढिए,है यह विपदा काल। सौदा मगर ज़मीर का,करें नहीं हर हाल। सॉंसों के व्यापार में,जो हैं दोषी सिद्ध। पायें फॉंसी…

सीख लिया है

सीख लिया है | Kavita

सीख लिया है ( Seekh liya hai )   जिसने जितने दुःख दिये हैं मुझे आकर वे अपने अपने ले जाएं अब कोई ठिकाना नहीं है मेरे पास तुम्हारे दिए हुए दुःखों के लिए…   जो मेरे हिस्से आए हैं वे रख लिए हैं अपने पास उन्हीं को लगा कर सीने से जीवन गुजार दूँगा…

उपभोक्ता की समस्या

उपभोक्ता की समस्या | Kavita

उपभोक्ता की समस्या ( Upbhokta ki samasya )   उद्योगों के विकास में औद्योगिक क्रांति देश में लाया| औद्योगिक क्रांति ने देश में उत्पादन को बढ़ाया| पर बड़े-बड़े कंपनियों ने ग्राहक को उपभोक्ता बनाया| इस उपभोक्ता को विज्ञापन ने खूब रिझाया| इस विज्ञापन ने बिना जरूरत के सामान को जरूरत बनाया| देश की प्रथम जरूरत…

भोर की नव बेला

भोर की नव बेला || Kavita

भोर की नव बेला ( Bhor ki naw bela )   मैं करोना को हराकर बाहर आई हूँ खुद की बहादुरीपर थोडा इतराई हूँ मालूम था सफर बहुत कठिन है फिर भी हिम्मत खूब मन में जुटाई है   खूब पिया पानी खूब भाप भी ली खूब प्राणायाम की लगाई झडी लम्बी साँसे छत पर…

प्यार सबको जोड़ता है

प्यार सबको जोड़ता है | Kavita

प्यार सबको जोड़ता है ( Pyar sab ko jodta hai )   प्यार मधुर एहसास रिश्तो का हर  बाधाओं  को  तोड़ता है अपनेपन  का  भाव  जगाता प्यार  सब  को  जोड़ता  है   हर रिश्तो में प्यार जरूरी मधुर प्रेम रग रग दौड़ता है दिल से दिल को दस्तक देता प्यार सब को जोड़ता है  …

हाथ पकड लो हे गिरधारी

हाथ पकड लो हे गिरधारी | Kavita

हाथ पकड लो हे गिरधारी ( Haath Pakad Lo Hey Girdhari )   माना  वक्त  ले रहा परिक्षा हिम्मत बची नहीं अब बाकि जीवन के आयाम बदल गए हर ओर मचा तबाही का मंजर   एसा खौफ एसी बेबसी पसर रही चहु दिशा बेलौस जीवन मृत्यु के सर्घष बीच कांप रही तन बीच बसी रूह…