Kavita Bitiya Rani | Hindi Kavita – बिटिया रानी
बिटिया रानी ( Bitiya Rani ) बिटिया जब डाँट लगाती है , वो दिल को छू जाती है l बिटिया जब दुलराती है , मन को बहुत लुभाती है l बिटिया जब हंसती है , रोम रोम पुलकित हो जाता है l बिटिया के रोते ही , तन मन सब…
बिटिया रानी ( Bitiya Rani ) बिटिया जब डाँट लगाती है , वो दिल को छू जाती है l बिटिया जब दुलराती है , मन को बहुत लुभाती है l बिटिया जब हंसती है , रोम रोम पुलकित हो जाता है l बिटिया के रोते ही , तन मन सब…
चन्द्रशेखर आजाद को श्रद्धा सुमन ( Chandrashekhar Azad Ko Shradha Suman ) भारत भूमि जब जब सम्मान से सिर झुकायेगी हर मुकाम पर हिन्द को चन्द्रशेखर की याद आयेगी ऐसा किया ऊँचा मस्तक भारत गौरव के अभिमान का धूल चटाकर प्राण हरे खुद दृश्य सन 31 के सग्राम का आजाद हिंद फौज से…
काव्य जगत के नन्हें दीप ( Kavy Jagat Ke Nanhen Deep ) नया कुछ गीत गाए हम बच्चों संग बच्चा बन जाएं हम उलझन की इस बगीया में खुशीयो के फूल खिलाये हम बाते चाद सितारो की ना ना बाते जमी आसमाँ की हो बाते जगमग जुगुनू की और रंग बिरंगी तितली की…
बाप ( Baap ) १. बाप रहे अधियारे घर में बेटवा क्यों उजियारे में छत के ऊपर बहू बिराजे क्यों माता नीचे ओसारे में २. कैसा है जग का व्यवहार बाप बना बेटे का भार जीवन देने वाला दाता क्यों होता नहीं आज स्वीकार ३. कल तक जिसने बोझ उठाया आज वही क्यों बोझ बना…
आज के बच्चे ( Aaj Ke Bache ) आज के बच्चे बड़े चालाक करने लगे मोबाइल लॉक खाने पीने में होशियार रोवे जैसे रोए सियार मांगे बाप से रोज ए पैसा बोले बात पुरानिया जैसा पापा के पेंट से टॉफी खोजें नहीं मिले तो फाड़े मोजे खाए आम अनार और केला देखे घूम -घूम कर…
बेटियॉं ( Betiyan ) पढ़ रही हैं बेटियॉं, बढ़ रहीं हैं बेटियॉं। रोज नये कीर्तिमान, गढ़ रहीं हैं बेटियॉं। बेटियॉं नहीं दुख की, नीर भरी बदरी है, बेटियॉं नहीं कोई, आफ़त की गगरी है। बेटियॉं श्रृंगार और,सृजन की गठरी है, ऊंची-ऊंची सीढ़ियां,चढ़ रहीं हैं बेटियॉं। …
तुम इतनी कठोर ( Tum Itni Kathor ) तुम इतनी कठोर कैसे हो सकती हो..? क्या भूले से भी मेरे नाम से तुम्हारा दिल नहीं धड़कता….. तुम्हारे दिल में मेरे लिए थोड़ा सा भी प्रेम नहीं है क्या जो इतनी बे-मुरोव्वत बन गई हो…. एक हमारी हालात है कि एक पल का…
क्या तुम किसान बनोगे ? ( Kya Tum Kisan Banoge ? ) जब भी छोटे बच्चों से पूछा जाता है- कि तुम बड़े होकर क्या बनोगे ?… सब कहते हैं कि हम बड़े होकर- डॉक्टर, वकील, इंजीनियर , शिक्षक या व्यापारी बनेंगे । परंतु कोई ये नहीं कहता कि हम बड़े होकर किसान बनेंगे ;…
मृत्यु! ( Mrityu ) ** १ कभी आकर चली जाती है, कभी बेवक्त चली आती है। जरूरी हो तब नहीं आती, कभी बरसों बरस इंतजार है कराती। हाय कितना यह है सताती? कितना है रूलाती ? कब आएगी? यह भी तो नहीं बताती! एकदम से अचानक कभी आ धमकती है, जाने कहां से आ टपकती…
अशांत मन ( Ashant Man ) शांत प्रकृति आज उद्वेलित, हृदय को कर रही है। वेदना कोमल हृदय की, अश्रु बन कर बह रही है। चाहती हूं खोद के पर्वत, बना नई राह दूं । स्वर्ण आभूषण में जकड़ी, जंग सी एक लड़ रही हूं। घूघंटो के खोल पट, झांकू खुले आकाश…