Kavita Bitiya Rani | Hindi Kavita – बिटिया रानी
बिटिया रानी ( Bitiya Rani ) बिटिया जब डाँट लगाती है , वो दिल को छू जाती है l बिटिया जब दुलराती है , मन को बहुत लुभाती है l बिटिया जब हंसती है , रोम रोम पुलकित हो जाता है l बिटिया के रोते ही , तन मन सब…
बिटिया रानी ( Bitiya Rani ) बिटिया जब डाँट लगाती है , वो दिल को छू जाती है l बिटिया जब दुलराती है , मन को बहुत लुभाती है l बिटिया जब हंसती है , रोम रोम पुलकित हो जाता है l बिटिया के रोते ही , तन मन सब…
काव्य जगत के नन्हें दीप ( Kavy Jagat Ke Nanhen Deep ) नया कुछ गीत गाए हम बच्चों संग बच्चा बन जाएं हम उलझन की इस बगीया में खुशीयो के फूल खिलाये हम बाते चाद सितारो की ना ना बाते जमी आसमाँ की हो बाते जगमग जुगुनू की और रंग बिरंगी तितली की…
बाप ( Baap ) १. बाप रहे अधियारे घर में बेटवा क्यों उजियारे में छत के ऊपर बहू बिराजे क्यों माता नीचे ओसारे में २. कैसा है जग का व्यवहार बाप बना बेटे का भार जीवन देने वाला दाता क्यों होता नहीं आज स्वीकार ३. कल तक जिसने बोझ उठाया आज वही क्यों बोझ बना…
आज के बच्चे ( Aaj Ke Bache ) आज के बच्चे बड़े चालाक करने लगे मोबाइल लॉक खाने पीने में होशियार रोवे जैसे रोए सियार मांगे बाप से रोज ए पैसा बोले बात पुरानिया जैसा पापा के पेंट से टॉफी खोजें नहीं मिले तो फाड़े मोजे खाए आम अनार और केला देखे घूम -घूम कर…
बेटियॉं ( Betiyan ) पढ़ रही हैं बेटियॉं, बढ़ रहीं हैं बेटियॉं। रोज नये कीर्तिमान, गढ़ रहीं हैं बेटियॉं। बेटियॉं नहीं दुख की, नीर भरी बदरी है, बेटियॉं नहीं कोई, आफ़त की गगरी है। बेटियॉं श्रृंगार और,सृजन की गठरी है, ऊंची-ऊंची सीढ़ियां,चढ़ रहीं हैं बेटियॉं। …
मृत्यु! ( Mrityu ) ** १ कभी आकर चली जाती है, कभी बेवक्त चली आती है। जरूरी हो तब नहीं आती, कभी बरसों बरस इंतजार है कराती। हाय कितना यह है सताती? कितना है रूलाती ? कब आएगी? यह भी तो नहीं बताती! एकदम से अचानक कभी आ धमकती है, जाने कहां से आ टपकती…
अशांत मन ( Ashant Man ) शांत प्रकृति आज उद्वेलित, हृदय को कर रही है। वेदना कोमल हृदय की, अश्रु बन कर बह रही है। चाहती हूं खोद के पर्वत, बना नई राह दूं । स्वर्ण आभूषण में जकड़ी, जंग सी एक लड़ रही हूं। घूघंटो के खोल पट, झांकू खुले आकाश…
फिर वही बात! ( Phir Wahi Baat ) ***** फिर वही बात कर रही है वो, चाहता जिसे भुलाना मैं था वो। ले गई मुझे उस काल कोठरी में, जिसे बांध गांठ , टांग आया था गठरी में। जाने बात क्या हो गई है अचानक? बार बार उसे ही दुहरा रही है, मेरी इंद्रियां समझ…
भाग्य ( Bhagya ) एक डाली टूट कर, गिर के जँमी पे आ गयी। अपनों से कटते ही, दुनिया की नजर में आ गयी। बचना है उसको, बचाना है यहाँ अस्तित्व को, द्वंद में ऐसी पडी, घनघोर विपदा आ गयी। किसको अपना मानती, सन्देह किस पर वो करे। इससे थी अन्जान अब,…
नसीहत ( Nasihat ) ** वह आई छाई रहे न बिन वाई फाई टोकी विमला ताई देख रहे हैं तुझे सब ओ माई! कहां हो खोई? मोबाइल से नजरें हटाओ लोगों की नजर से नजर मिलाओ घुलो मिलो करो बातें चंद वरना समझेंगे सभी है तुझमें घमंड! यह बात नहीं अच्छी समझो मेरी बच्ची। लेखक-मो.मंजूर…