ओस की बूंदे

ओस की बूंदे | Kavita

ओस की बूंदे ( Os ki boonde : Kavita )   सोनू!मेरी जिंदगी हो तुम वर्षों की मेरी तलाश हो तुम बारिश की बूंदों में तुम हो कुदरत की करिश्मा हो तुम खुशी की आँसू हो तुम तिनकों में चमकती ओस की बूंदे हो तुम मनकों में दमकती हीर हो तुम फूलों की परागकण हो…

देखो आज राम बन कितने रावण निकलेंगे

देखो आज राम बन कितने रावण निकलेंगे | Kavita

देखो आज राम बन कितने रावण निकलेंगे ( Dekho aaj Ram ban kitne ravan nikalenge )   देखो ,आज राम बन कितने रावण निकलेंगे जलाने इक काग़ज़ के बने उस रावण को   अब तो रावण भी राम नाम लेते अपनी सोने की लंका बचाने को   वो  इक  गुनाह  के  पीछे  दसों  सिर  गवा …

कत्ल कलम से

कत्ल कलम से | Kavita

कत्ल कलम से ( Qatal kalam se )   हो ना जाए कत्ल कलम से, शमशीरो सी वार सा। दोषी  को  सजा  दिलवाना, फर्ज कलमकार का।   कलम ले दिल दुखाए, तीखे शब्द बाण चलाए। खून के आंसू रुलाए, बिना बात विवाद बढ़ाए।   निर्दोषी पर आरोप लगाना, कर्म नहीं दरबार का। सच्चाई की खातिर…

Poem on truth of life in Hindi

Poem on truth of life in Hindi | सुख दुख सब मन की माया

सुख दुख सब मन की माया ( Sukh dukh sab man ki maya )   उर जोत जला आशा की नेह का दीप जलाता आया मुस्कानों के मोती बांटो सुख-दुख सब मन की माया   अटल हौसला जोश जज्बा साहस उर भर लो भरपूर प्रेम के मोती लुटाकर प्यारे जग में हो मशहूर   सेवा…

जिंदगी में नहीं मतलबी चाहिए

Ghazal | जिंदगी में नहीं मतलबी चाहिए

जिंदगी में नहीं मतलबी चाहिए ! ( Jindagi mein nahi matalabi chahie )   जिंदगी में नहीं मतलबी चाहिए ! इक वफ़ा की मगर दोस्ती चाहिए    जिंदगी अब ग़मों में बहुत जी ली है ऐ ख़ुदा उम्रभर अब ख़ुशी चाहिए उम्रभर के लिये हो वफ़ाये भरी जिंदगी में रब वो आशिक़ी चाहिए   नफ़रतों…

उलझन

उलझन | Hindi poetry on life

उलझन ( Uljhan )   उलझनों ने घेरा है, कैसा काल का फेरा है। किस्मत क्यों रूठ रही, मुसीबतों का डेरा है।   जीवन की जंग लड़े, कदमों में शूल पड़े। मुश्किलें खड़ी थी द्वार, तूफानों से हम भीड़े।   रिश्ते नाते भूले हम, मर्यादाएं तोड़ चले। बुजुर्ग माता-पिता को, वृद्धाश्रम छोड़ चले।   विकास…

विदा

विदा | Kavita

विदा ( Vida ) तुम कह देना उन सब लोगों से, जिन्हें लगता है हम एक दुजे के लिए नहीं. जो देखते है सिर्फ़ रंग, रूप और रुतबा जिन्होंने नहीं देखा मेरे प्रेम की लाली को तुम्हारे गलो को भिगोते हुए. जो नहीं सुन पाए वो गीत जो मैंने कभी लफ़्ज़ों में पिरोए ही नहीं….

हिंदी दिवस

Hindi Diwas Poem | मेरा सम्मान – मातृभाषा हिन्दी

मेरा सम्मान – मातृभाषा हिन्दी ( Mera samman – matribhasha Hindi )   कब तक हिंदी मंद रहेगी अग्रेजी से तंग रहेगी कब तक पूजोगे अतिथि को कब तक माँ यूँ त्रस्त रहेगी माना अग्रेजी की जरूरत सबको माना बिन इसके नहीं सुगम डगर हो माना मान सम्मान भी दिलवाती पर मातृ भाषा बिन कैसी…

Paryavaran suraksha hi jeevan raksha

पर्यावरण सुरक्षा ही जीवन रक्षा | Paryavaran Kavita

पर्यावरण सुरक्षा ही जीवन रक्षा ( Paryavaran suraksha hi jeevan raksha )   पर्यावरण की रक्षा से जीवन सुरक्षित करना होगा हरियाली के उत्कर्ष से देश हित में बढ़ना । होगा   हिंदुस्तान से मोहब्बत है तो आओ दिखलाओ पर्यावरण सुरक्षित कर जीवन जोत जलाओ   पर्यावरण सुरक्षा का पूर्ण ज्ञान देता है हम सबको…

गणपति वंदना

गणपति वंदना | Ganpati Vandana

गणपति वंदना : दुर्मिल-छंद ( Ganpati Vandana )   बल बुद्धि विधाता,सुख के दाता, मेरे द्वार पधारो तो। जपता हूं माला,शिव के लाला, बिगड़े काज सवारों तो। मेरी पीर हरो,तुम कृपा करो, भारी कष्ट उबारो तो। तेरा दास जान,तुम दयावान, मेहर करो भव तारो तो।।   सिर मुकुट जड़ा है,भाग बड़ा है, बड़ी सोच रखवाले…