बादल
( Badal )
जलहरण घनाक्षरी
काले काले मेघा आओ,
बरस झड़ी लगाओ।
व्योम में कड़क रही,
बिजलियां कड़ कड़।
बारिश की बूंदे प्यारी,
सबको सुहाती सारी।
बादल गरज रहे,
अंबर में गड़ गड़।
नभ बदरिया छाए,
रिमझिम पानी आए।
मुसलाधार बरसे,
झड़ी लगे टप टप।
आषाढ़ उमड़ आया,
घूमड़ घुमड़ आया।
हरियाली छाई धरा,
पूजे शिव हर हर।
कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )