दोस्त | Kavita Dost

दोस्त | Kavita Dost

दोस्त ( Dost ) ( 2 ) दोस्त बिना है जीवन अधूरा लड्डू सी है गजब दोस्ती आटा संग जैसे रमे बूरा बिन कहे पहचान सब जाए ह्दय मन हलचल का हाल पूरा मित्रता नमक और पानी धरती और फसल धानी ना शर्म झिझक ना कोई बने ज्ञानी कृष्ण सुदामा की अनुपम कहानी बचपन से…

मित्र दिवस | Kavita Mitra Divas

मित्र दिवस | Kavita Mitra Divas

मित्र दिवस ( Mitra Divas ) चेहरा भूल जाओगे तो, शिकायत नहीं करेंगे। नाम भूल जाओगे तो, गिला नहीं करेंगे। और मेरे दोस्त, दोस्ती कि कसम है तुझे। जो दोस्ती भूल जाओगे, तो कभी माफ नहीं करेंगे। खुशी से दिल, आबाद करना मेरे दोस्त। और गम को दिल से आज़ाद करना। हमारी बस इतनी, गुजारिश…

गठबंधन | Kavita Gathbandhan

गठबंधन | Kavita Gathbandhan

गठबंधन ( Gathbandhan ) तेरे मेरे मिलन से हम लोग खुश है। मानो जैसे जिंदगी अब करीब आ गई हो। जतन किये थे हमने इसलिए मिल गये हो। और मेरी जिंदगी में फूल खिला दिये हो।। प्यार मोहब्बत करते नही तो हम दोनों मिल नहीं पाते। जिंदगी की हकीकत को हम समझ नही पाते। और…

सावन की फुहार | Kavita Sawan ki Fuhar

सावन की फुहार | Kavita Sawan ki Fuhar

सावन की फुहार ( Sawan ki Fuhar ) सावन की पड़ें फुहार तन मन में मस्ती छा जाए मेघा गाएं राग मल्हार जियरा धक-धक करता जाए ।। जियरा धक-धक करता जाए दिल में कोई हूक उठाए धरती अंबर का ये प्यार जियरा धक-धक करता जाए।। सावन की पड़े फुहार तन-मन में मस्ती छा जाए ।।…

आज़ादी

आज़ादी | Hindi Poem Azadi

आज़ादी ( Azadi ) है कोई सैनानी सड़कों पर आ कर हम को भी दिलाऐ मंहगाई,बेरोजगारी, अशिक्षा और असमानता से, भूखमरी, अल्प पगारी, मिलावट और मक्कारी से, आज़ादी,,,!!! है कोई सैनानी सड़कों पर आ कर हम को भी दिलाऐ पूंजीवाद, जमाखोरी, भ्रम और भ्रष्टाचारी से, घृणा,अपमान, छूआछूत की बिमारी से, आज़ादी,,,!!! है कोई सैनानी सड़कों…

गौर किया कर

गौर किया कर | Kavita Gaur Kiya Kar

गौर किया कर ( Gaur Kiya Kar ) जुमला है ये कठिन मगर कर, सोच समझ अपनाया कर, किसी को हानि न पहुचे वो कर, खुद को भी हर्षाया कर, जोड़ के अपने दोनो कर, सदा बड़ों का आदर कर, कहा गया जो सदा ही कर, प्रभु सम्मुख शीश झुकाया कर, मत औरों की निंदा…

मोहन सी प्रीति

मोहन सी प्रीति | Kavita Mohan see Preeti

मोहन सी प्रीति ( Mohan see Preeti ) मन का भोलापन कैसे बताए, कभी खिला-खिला कभी मुरझाए। कहता नहीं फिर भी कहना चाहे, बिन जाने सुने तर्कसंगत बन जाए। गम का छांव लिपटस सा लिपट ले, तो अनमना मन कभी रूदन को चुन ले। संघर्ष से डरता नहीं फिर भी अग्रसर नहीं, तूफानो से भिड़ता…

मनुष्य जीवन | Kavita Manushya Jeevan

मनुष्य जीवन | Kavita Manushya Jeevan

मनुष्य जीवन ( Manushya Jeevan ) मानव जीवन की गाथा तुमको सुनता हूँ। जीवन का एक सत्य तुमको बताता हूँ। मानवता का दृश्य भी तुमको दिखता हूँ। किस्मत का भी खेल तुमको बताता हूँ।। आया हो संसार में लेकर मानव जन्म। पूरब भव में तुमने किये थे अच्छे कर्म। इसलिए तो तुमको मिला है मानव…

बरसात का आगमन

बरसात का आगमन | Kavita Barsaat ka Aagman

बरसात का आगमन ( Barsaat ka Aagman ) एक गौरैया बारिश में अपने पंख फैलाकर जब नहाती है तब सूचना देती है वह बारिश के आगमन का। और बादल आपस मे टकराकर टूटते है, बिखरते ही अपनी बूंदो को इस धरा पर दूर किसी बस की खिड़की में तब झाँकता दिखलाई देता है एक धुंधला-सा…

वर्जिन सुहागन

वर्जिन सुहागन | Kavita Virgin Suhagan

वर्जिन सुहागन ( Virgin Suhagan ) कब मेरा अस्तित्व, वेदनाओं, संवेदनाओं,दर्दो ओ ग़म का अस्तित्व बना पता ही न चला। एहसासों के दामन तले जीते गए भीतर और भीतर मेरे समूचे तन ,मन प्राण में, उपजे मासूम गुलाबों को, कब हां कब तुमने कैक्टस में बदलना शुरू किया, हमें पता ही न चल पाया। अहसास…