Hindi Kavita | Hindi Poetry On Life | Hindi Poem -बाप
बाप ( Baap ) १. बाप रहे अधियारे घर में बेटवा क्यों उजियारे में छत के ऊपर बहू बिराजे क्यों माता नीचे ओसारे में २. कैसा है जग का व्यवहार बाप बना बेटे का भार जीवन देने वाला दाता क्यों होता नहीं आज स्वीकार ३. कल तक जिसने बोझ उठाया आज वही क्यों बोझ बना…