बरसो बादल

बरसो बादल

( Barso Badal )

 

प्रतीक्षा पल पल करती अंखियां
अब तो सुन लो मानसून बात हमारी,
इंतजार कर अब ये नयन थक गए
कब बरसोगे रे बादल तुम प्यारे।।

इस धरती के तुम बिन मेघा प्यारी
सारे पौधे,वन उपवन गए मुरझाये,
तुम बिन नही कोयल कूके अब
लता पताका पुष्प गए कुम्हलाये।।

तपती धूप,जलती धरती की हर क्यारी ,
सुख रहे सब जंगल इंतजार में तुम्हारे!
अब तो सुन लो वर्षा कर दो जल्दी से,
मौसम आ गया तुम भी आओ बादल प्यारे ।।

कुदरत भी मुस्काती देखो फसल लहलाती
तुझसे ही तो ये धरती अपनी प्यास बुझाती।।
तुम्हारे आने पर वर्षा जब होती खिल उठते ,
किसानों के मुख भी प्यारे बादल जी हमारे ।।

उमड़ घुमड़ के अब तुम बरसो बादल प्यारे ,
झूम उठे हम भी तुम्हारे आने पर घर बहार
तृप्त होने को मन का पपिहा ये तुम्हे पुकारे
कब तक तुम्हारी राह ताके बोलो बादल प्यारे ।।

आशी प्रतिभा दुबे (स्वतंत्र लेखिका)
ग्वालियर – मध्य प्रदेश

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