राखी का त्यौहार | Kavita Rakhi ka tyohar
राखी का त्यौहार
( Rakhi ka tyohar )
बात-बात पे लड़ना, बात -बात पे झगड़ना,
कभी रूठना ,कभी मनाना, कभी अड़ना;
बड़ा नटखट है- भाई बहन का प्यार,
देखो, आ गया ये राखी का त्यौहार ।।
सतरंगी रंगों में चमक रही हैं राखियाँ,
हर तरफ़ बिखरी हैं सैकड़ों मिठाइयाँ;
आज पूरी तरह से सज गया बाज़ार,
देखो, आ गया ये राखी का त्यौहार ।।
सबसे पहले बहनें भाई कोई तिलक लगातीं,
फिर उनकी कलाई को राखी से सजातीं;
बदले में पाती उनसे पैसे और ढेरों उपहार ,
देखो,आ गया ये राखी का त्यौहार ।।
हिंदू-मुस्लिम-सिख हम सब हैं भाई-भाई,
आज सूनी ना रहती किसी भाई की कलाई;
मिट जाते भेद-भाव के सभी अंधकार,
देखो,आ गया ये राखी का त्यौहार ।।
सीमा पर दिन-रात डटे हैं-जो वीर जवान ,
रक्षा में हमारी जो गँवा देते-अपनी जान;
चिट्ठी में लिख भेजना उनके ये उपकार ,
देखो, आ गया ये राखी का त्यौहार ।।
कवि :संदीप कटारिया ‘ दीप ‘
(करनाल ,हरियाणा)