विश्व कविता दिवस 

( World Poetry Day )

 

अल्फाज़ का जामा तो
मैंने पहनाया था
जज्बात को ,एहसासों को
तो मैंने ही पिरोया था
दिल से निकाल पन्नों पर
तो मैंने उकेरा था

तुझसे कैसे ये मेरे रूबरू हुये
मेरे ही दिल में रहे और चोरी किये

या था तुझको पता
कि ये थे तेरे ही,
तुझसे जुड़े हुये
मुझ में छुपे हुये
यह मस्नवी,यह रूबाई
ये नज़म ,यह गज़ल

लेखिका :- Suneet Sood Grover

अमृतसर ( पंजाब )

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