Poem teri meri yaari
Poem teri meri yaari

तेरी मेरी यारी

( Teri meri yaari )

 

होठों की हंसी मुस्कान वो खिलती प्यारी फुलवारी
सावन की मस्त बहार है वो जग में तेरी मेरी यारी

 

विश्वास प्रेम की मूरत जहां सद्भावों की गंगा बहती
आनंद हर्ष की बरसाते हर पल छाई खुशियां रहती

 

तेरी मेरी हर धड़कन में पहचानी जाती रग सारी
दिलों के जोड़े तार सभी दुनिया में तेरी मेरी यारी

 

मुस्कानों के मोती बरसे झरना प्रेम का बहता है
तुझ संग हौसला मेरा मन साहस संबल रहता है

 

अपनापन प्रीत अनूठी सारी दुनिया से जो न्यारी
महकती वादियां हंसती मुस्कुराती तेरी मेरी यारी

 

पावन गंगा धारा उमड़े खुशियों की घटाएं छा जाए
हरियाली से हरी-भरी लबों पर मुस्काने आ जाए

 

नेह सिंधु में मोती बन दमके अपनी किस्मत सारी
हम रहे कहीं भी दुनिया में हो अटूट तेरी मेरी यारी

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कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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