खामोशी विरोध की भाषा
( Kavita khamoshi virodh ki bhasha )
ये खामोशी,
सहमति नहीं
विरोध की भाषा है!
यह तो मजबूरी है,
सहमति में बदल जाना
किसी तकलीफ देय
घटना के डर से!
एक वक्त आएगा
सब्र का घड़ा भर जाएगा
तब नही होगी कोई मजबूरी
न किसी प्रकार का कोई डर
तब विरोध मे खामोशी टूटेगी
तब होगी विरोध की भाषा
खामोशी….!!!
लेखक :- ईवा ( The real soul)
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