बधाई
( Badhai )
आज बधाई है आज बधाई है
बड़ी खुशी है आज
हुआ वतन आजाद
आंगन में हवा खुली ये आई है
सरहद पे डेरा हमने लगाया
दुश्मन ने घेरा खूब बनाया
भारत मां की लाज बचाने को
काट के सिर दुश्मन के लाने को
बैठे थे बारूद के ढेर पे
शेर वतन के दिवाने वो
महाकाल बन कर ताण्डव रचाने वाले
लौट के घर तिरंगे में आने वाले
शहीद होकर देश बचाया
देश सेवा का घर घर में
अलख जगाया
लहु से सींचा वतन प्यारा
तूने मधुबन बनाया
ये तो यज्ञ है आजादी का
मातृभूमि में आहुति का
धन्य हैं वो मस्ताने लाखों
जिन्होंने जान गंवाई है
वतन की लाज बचाने वाला तू
आंख में दरिया लाने वाला तू
जाते जाते कह गया
मैं तो लड़ा नहीं मेरे पीछे
देश लड़ा कहने वाला तू
आंचल में मां के सर रखता था
धरती मां की गोद में सोने वाला तू
तस्वीर तेरी भी खूब सजाई है
हार तोड़ बांधी राखी की डोर
रोते रोते बहना जो लाई है
आंख पोंछे मां का पल्लू
कोने में मिलती चश्मे की रूलाई है
बादलों में गुम होके नजर ना आयेगा
सेवा से तेरी देश जाग जायेगा
देश मेरा वीरों की बगिया
फिर भी सूनी हैं गांव की गलियां
मुरझा गयी सब दिल की कलियां
सफेद साड़ी में सिंदूर मिटा है
खेल खिलौनों का घर टूटा है
सेहरा बांध गोलियों का
मौत की घोड़ी पे दुल्हन
आजादी की ले आया तू
खुली हवायें खुली फिजांयें
खुले आसमां मे
अब खुशियां आईं हैं